गॉलब्लैडर यानी पित्ताशय की हमारे डायजेशन सिस्टम में प्रमुख भूमिका होती है. पित्त शरीर के पाचन तंत्र को नियंत्रित रखता है लेकिन कई बार इसमें पथरी की समस्या हो जाती है. समस्या बढ़ने पर डॉक्टर शरीर से गॉलब्लैडर निकाल देते हैं जिसके बाद भी लोग नॉर्मल लाइफ जीते हैं.
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यह अंग छोटी और बड़ी आंत के बीच में होता है. कई बार पेट में संक्रमण या सूजन आने पर चिकित्सक सर्जरी कर इसे निकालने की सलाह देते हैं. जॉन होपकिंस मेडिसिन के मुताबिक, अपेंडिक्स में गुड बैक्टीरिया होते हैं जो इंफेक्शन से लड़ने में इम्यून सिस्टम की मदद करते हैं. हालांकि डॉक्टर का मानना है कि शरीर में ऐसे और भी कई अंग हैं जो इंफेक्शन से लड़ने के लिए लिम्फैटिक टिशू बनाते हैं.
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रीढ़ की हड्डी के सबसे निचले हिस्से को टेल बोन कहते हैं. जीव विज्ञानी मानते हैं कि पुरातन काल में यह पेड़ पर चढ़ते समय संतुलन बनाने के काम आती थी. जैविक विकास के बाद मानव शरीर में इसका कोई काम नहीं है.
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मानव शरीर में अकल दाढ़ का भी अब कोई उपयोग नहीं है. ऐसा माना जाता है कि पुरातन काल में बिना पका भोजन चबाने के लिए इसकी जरूरत रही होगी लेकिन वर्तमान समय में नरम और पका हुआ भोजन चबाने में इसका कोई काम नहीं है.
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गालों के अंदरुनी हिस्से को टॉन्सिल कहते हैं. ये अकल दाढ़ के पास होता है. कई बार संक्रमण होने की वजह से इनमें सूजन आ जाती हैं और तेज दर्द होता है. ऐसे में डॉक्टर इन्हें हटवाने की सलाह देते हैं.
(यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.)