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कितने मेगापिक्सल की होती हैं आपकी आंखें? ज्यादातर लोग नहीं जानते हैं ये बात

कैमरों को खरीदने के दौरान लोग मेगापिक्सल काउंट को खास अहमियत देते हैं, मगर क्या आपको मालूम है कि हमारी आंखे कितने मेगापिक्सल की हैं?

Interesting Facts of human eyes: स्मार्टफोन और कैमरे के इस दौर में ज्यादातर लोगों को यह चिंता रहती है कि जिस कैमरे या स्मार्टफोन को वो खरीद रहे हैं, उसमें कितने मेगापिक्सल का लेंस लगा है? मगर क्या आप जानते हैं कि आपकी आंखें कितने मेगापिक्सल की हैं! इस स्लाइड में हम आपको बताएंगे ह्यूमन आई से जुड़ी कुछ इंटरेस्टिंग जानकारियां जो ज्यादातर लोगों को नहीं मालूम होंगी.

1.आंखों में मौजूद होता है नेचुरल लेंस

आंखों में मौजूद होता है नेचुरल लेंस
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ह्यूमन आई में लेंस मौजूद होते हैं जो किसी भी वस्तु को दूर तक देखने में सक्षम होते हैं. यह लेंस किसी कांच के नहीं बल्कि प्राकृतिक तौर पर बने होते हैं.



2.576 मेगापिक्सल की होती हैं हमारी आंखें

576 मेगापिक्सल की होती हैं हमारी आंखें
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हमारी आंखें दूर तक किसी भी चीज को देखने में इस वजह से सक्षम हो पाती है क्योंकि उसमें मौजूद नेचुरल लेंस काफी ताकतवर होते हैं. यदि इंसानी आंखों को कैमरा मान लिया जाए तो हमारी आंखें 576 मेगापिक्सल के रेंज तक देखने में सक्षम हैं.



3.कैमरे की तरह काम करती हैं हमारी आंखें

कैमरे की तरह काम करती हैं हमारी आंखें
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इंसान की आंखें भी किसी कैमरे से कम नहीं है, इसमें तीन भाग होते हैं. पहला लेंस या प्रकाशीय यंत्र जो प्रकाश को एकत्रित कर तस्वीर बनाता है. दूसरा सेंसर जो छवि के प्रकाशीय ऊर्जा को इलेक्ट्रिक सिग्नल्स में बदलता है और तीसरा प्रोसेसर जो उन इलेक्ट्रिक सिग्नल्स को वापस स्क्रीन पर इमेज में बदल कर दिखाता है.



4.दिमाग तक तस्वीरें प्रॉसेस करने का काम करती है आंखें

दिमाग तक तस्वीरें प्रॉसेस करने का काम करती है आंखें
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हमारी आंखें किसी भी चीज को देखने और उसकी छवि को दिमाग तक भेजने में सक्षम हैं. 576 मेगापिक्सल के लेंस के मौजूद होने की वजह हमारी आंखें किसी वस्तु को देखती हैं और उसके सही रंग और डेफिनेशन को प्रॉसेस कर दिमाग तक पहुंचती हैं.



5.उम्र के साथ कम हो जाता है आंखों का मेगपिक्सल काउंट

उम्र के साथ कम हो जाता है आंखों का मेगपिक्सल काउंट
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ऐसा माना जाता है कि समय के साथ हमारी आंखों की रोशनी कम होने लगती है, जिसके साथ-साथ हमारी आंखों के मेगापिक्सल काउंट पर भी असर पड़ता है. रिसर्च की मानें तो वृद्ध लोगों को यंग लोगों की तुलना में कोई भी वस्तु साफ नजर नहीं आती. यहां तक की वे कई वस्तुओं के रंग के फेड दिखाई देने की भी शिकायत करते हैं.  



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