इस शादी को लेकर बिल्कुल कनफ्यूज न हों. दूल्हा और बाराती भले ही नहीं थे लेकिन शादी की सभी रस्में और रीति-रिवाज उसी तरह निभाए गए.
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पहले मेहंदी की रस्म हुई, उसके बाद हल्दी और फिर आख में वैवाहिक कार्यक्रम हुआ. क्षमा की शादी में उनके सभी दोस्त और करीबी पहुंचे थे.
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बता दें कि जबसे 11 जून को शादी का ऐलान हुआ था तभी से उनके घर के बाहर लोगों का तांता लगा हुआ था. उन्हें डर था कि कहीं ऐसा न हो कि शादी के दिन कोई उनके घर आ जाए और हंगामा कर दे.
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वह अपने खास दिन को बर्बाद नहीं करना चाहती थीं इसलिए उन्होंने 8 जून को ही शादी कर ली.
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क्षमा ने अपने घर में शादी की पहले वह मंदिर में शादी करना चाहती थीं लेकिन बीजेपी नेता के विरोध के बाद उन्होंने यह विचार छोड़ दिया. इसके बाद पंडित ने भी शादी करवाने से इंकार कर दिया था को आखिरकार क्षमा ने टेप पर मंत्र चलाकर शादी फैसला लिया.