Ajab Gajab News: जिंदा रहते किया अपना अंतिम संस्कार, अब 300 लोगों को कराया तेरहवीं भोज, जानें पूरा मामला

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jun 17, 2023, 09:09 AM IST

Unnao में इस बुजुर्ग ने जिंदा रहते हुए ही अपनी अंतिम क्रिया से जुड़े कर्मकांड कराए हैं. (Photo- Zee News)

Uttar Pradesh News: यह अजीबोगरीब मामला उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में सामने आया है, जहां एक बुजुर्ग का अपनी पत्नी और बच्चों के साथ झगड़ा हो गया था.

डीएनए हिंदी: Unnao News- उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में एक अजीबोगरीब मामला हुआ है. एक बुजुर्ग ने पत्नी और बच्चों के साथ अनबन के बाद जिंदा रहते हुए ही खुद अपना अंतिम संस्कार किया. इसके बाद उन्होंने किसी मृतक के लिए होने वाले सारे कर्मकांड कराए और अब गांव व आसपास के 300 लोगों को बाकायदा आमंत्रण भेजकर अपनी तेरहवीं का भोज भी कराया है. इस अजब मामले को लेकर पूरे क्षेत्र में तरह-तरह की चर्चा हो रही हैं.

पत्नी-बच्चों से अलग खेतों में रह रहा बुजुर्ग

उन्नाव जिले के नवाबगंज ब्लॉक के गांव केवाना निवासी जटाशंकर का अपनी पत्नी और बच्चों के साथ विवाद चल रहा है. जटाशंकर के परिवार में पत्नी मुन्नी देवी और 5 बेटे व 2 बेटियां हैं. सभी अविवाहित हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जटाशंकर का कई बार अपने बच्चों व पत्नी के साथ विवाद हो चुका है. इसके चलते वह अपने खेतों में ही परिवार से अलग रह रहा है. 

दो साल पहले बनवाया था समाधि का चबूतरा

जटाशंकर ने दो साल पहले खेतों में एक पक्का चबूतरा बनवाया था. उसने ग्रामीणों से कहा था कि जब उसकी मौत हो जाए तो यहीं पर अंतिम संस्कार कर समाधि बना देना. उस समय लोगों ने उसकी बात को मजाक समझा था, लेकिन अब उसने अपने अंतिम संस्कार से तेरहवीं तक के सारे संस्कार कर सभी को हैरान कर दिया है.

पत्नी से झगड़े के बाद कराया दसवां संस्कार और फिर की तेरहवीं

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ दिन पहले जटाशंकर का पत्नी मुन्नी देवी से फिर झगड़ा हो गया. इसके बाद जटाशंकर ने पंडितों को बुलाकर सारे कर्मकांड के साथ अपना दसवां संस्कार कराया. इसके बाद दो दिन पहले यानी गुरुवार 15 जून को जटाशंकर ने पूरे गांव व आसपास के 300 लोगों को भोज पर बुलाकर अपनी तेरहवीं, पिंडदान व अन्य वे सभी संस्कार भी कर दिए, जो किसी आदमी के मरने के बाद किए जाते हैं.

इस अजीब हरकत का बताया यह कारण

जिंदा होकर भी अपने मरने के बाद होने वाले संस्कार करने की अजीब हरकत पर जटाशंकर ने तर्क भी दिया है. उसने कहा कि मेरे मरने के बाद यह गारंटी नहीं है कि कोई (पत्नी और बच्चे) मेरे लिए ये सारे संस्कार करेगा या नहीं. इस कारण मैं अपने जिंदा रहते ही सारे कर्मकांड पूरे कर लेना चाहता हूं ताकि मेरी आत्मा को शांति मिल सके. 

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