Ajab Gajab News: 20 साल पढ़कर भी डॉक्टर नहीं बन पाया ये स्टूडेंट, जानें कहां की है MBBS की ये अनूठी कहानी

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:May 12, 2023, 05:30 PM IST

MBBS Doctor (Representational Photo)

Uttar Pradesh News: यह अनूठा मामला उत्तर प्रदेश के कानपुर का है, जहां शाहजहांपुर निवासी एक व्यक्ति साल 2003 से एमबीबीएस कोर्स में पढ़ाई कर रहा है.

डीएनए हिंदी: Kanpur News- भले ही अब डॉक्टर बनने के लिए यानी MBBS की डिग्री हासिल करने के लिए 9 साल की अधिकतम समयसीमा तय हो गई हो, लेकिन कानपुर का एक मामला देखकर आपके होश उड़ सकते हैं. कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में एक छात्र पिछले 20 साल से MBBS की डिग्री लेकर डॉक्टर बनने की कवायद कर रहा है. शाहजहांपुर निवासी यह स्टूडेंट जवानी से बुढ़ापे की दहलीज पर पहुंच गया है, लेकिन आज तक न तो MBBS की परीक्षा ही कंप्लीट कर पाया है और न ही अपनी सीट किसी दूसरे स्टूडेंट के लिए खाली कर रहा है. अब कॉलेज प्रबंधन ने यह मामला चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक के पास भेजकर इस मामले में निर्देश मांगा है.

यह है पूरा मामला

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 20 साल से एमबीबीएस में पढ़ रहा ये स्टूडेंट शाहजहांपुर निवासी जितेंद्र सिंह है. जितेंद्र ने साल 2003 में कानपुर आकर मेडिकल कॉलेज में MBBS कोर्स में एडमिशन लिया था. इसके बाद वह गायब हो गए थे. साल 2007 में वापस आकर जितेंद्र ने 2009 तक पढ़ाई की और फिर गायब हो गए. इसके बाद जितेंद्र ने करीब 5 साल बाद वापस आकर फिर से पढ़ाई करने का दावा ठोका. साल 2014 में उन्हें तीसरे सेमेस्टर में पढ़ने का मौका दिया गया, लेकिन इंटरनल एग्जाम देकर वह फिर से लापता हो गए.

2017 में फिर आ गए पढ़ने के लिए

जितेंद्र तीन साल गायब रहने के बाद 2017 में फिर से मेडिकल कॉलेज पहुंच गए. यहां उन्होंने तीसरे टर्म का एग्जाम दिया. इसके बाद वह साल 2018 में भी पढ़ते रहे और चौथे वर्ष के दोनों टर्म एग्जाम दिए, लेकिन यूनिवर्सिटी ने नए नियमों का हवाला देकर 10 साल से ज्यादा समय होने के चलते उनका रिजल्ट रोक दिया. इसके बाद से यह मामला चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक के पास लंबित है.

क्या कहते हैं MBBS के नए नियम

देश में मेडिकल एजुकेशन के नियमन के लिए गठित राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने MBBS कोर्स के लिए कुछ नियम तय किए हैं. इन नियमों में कोर्स को पूरा करने की अधिकतम समय सीमा 9 साल रखी गई है, जबकि दो बार में प्रोफेशनल एग्जाम पास नहीं कर पाने पर बर्खास्त करने का नियम है.  

लखनऊ में MBBS स्टूडेंट से पहले उनके बेटे-बेटी बन गए थे डॉक्टर

लखनऊ की किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में भी अनूठा मामला सामने आया था. यहां एक स्टूडेंट ने करीब 15 साल पढ़ाई करने के बाद साल 2018 में MBBS की डिग्री हासिल की थी. मजे की बात ये है कि इससे पहले उसका बेटा एमबीबीएस डिग्री लेकर डॉक्टर बन चुका था. साल 2019 में भी एक स्टूडेंट करीब 17 साल बाद एमबीबीएस में पास हुआ था, जबकि उसकी बेटी पहले ही बीडीएस की डिग्री लेकर डॉक्टर बन चुकी थी. 

साल 2021 में KGMU में ऐसे स्टूडेंट्स की लिस्ट बनाई गई थी तो करीब 20 छात्र मिले थे, जो 15 या 20 साल से पास नहीं हुए थे. एक छात्र साल 1994 का और एक छात्र साल 1997 के बैच का पाया गया था.

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