Apollo Doctor Viral Tweet: 'चपरासी जैसी मिलती थी सैलरी', डॉक्टर ने सोशल मीडिया पर बताया दर्द

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Apr 07, 2023, 04:45 PM IST

Apollo Hospital Doctor Sudhir Kumar

Hyderabad Doctor Salary: डॉक्टर को महज 9,000 रुपये सैलरी मिलती थी. हालांकि अपोलो अस्पताल के डॉक्टर ने ये नहीं बताया कि तब वे कहां काम करते थे.

डीएनए हिंदी: Apollo Hospital Doctor Salary- डॉक्टर का प्रोफेशन बेहद अट्रेक्टिव माना जाता है. लोग मानते हैं कि डॉक्टर अस्पतालों में बेहद मोटे वेतन पर काम करते हैं, लेकिन सच ऐसा नहीं है. डॉक्टरों को भी शुरुआती दौर में बेहद कम वेतन में गुजारा करना पड़ता है. यह सच साझा किया है हैदराबाद के एक डॉक्टर (Hyderabad doctor) ने, जिन्होंने बताया है कि कैसे उन्हें एमबीबीएस (MBBS) की डिग्री लेने के 16 साल बाद भी चपरासी के बराबर वेतन मिलता था. डॉक्टर ने यह खुलासा सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में किया है, जो जमकर वायरल हो गया है. 

क्या लिखा है डॉक्टर ने

यह पोस्ट ट्विटर पर डॉ. सुधीर कुमार (Dr Sudhir Kumar) ने किया है, जो हैदराबाद के अपोलो हॉस्पिटल्स (Apollo Hospitals) के न्यूरोलॉजिस्ट (neurologist) हैं. उन्होंने एक ट्वीट को रिट्वीट करते हुए बताया कि उन्होंने जिंदगी में यह कैसे सीखा कि किसी डॉक्टर को कम खर्च में जीवन बिताना चाहिए. केवल उसी के साथ जीना सीखा, जो बेहद जरूरी था. डॉक्टर सुधीर ने ट्वीट में बताया कि MBBS करने के 16 साल बाद भी मेरा वेतन महज 9,000 रुपये महीना था. यह डीएम न्यूरोलॉजी (2004) कर लेने के भी 4 साल बाद था.

दरअसल डॉ. सुधीर ने जिस ट्वीट पर ये जवाब लिखा, उसमें कहा गया था कि एक युवा व्यवसायी के लिए समाज सेवा करना मुश्किल है, जब वह खुद को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा हो. हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि ये वेतन उन्हें अपोलो अस्पताल में ही मिलता था या किसी और जगह पर.

कहा- चपरासी जैसी थी सैलरी, मां होती थीं दुखी

डॉ. सुधीर ने कहा, मेरी सैलरी से मैं तो खुश था, लेकिन मेरी मां बेहद दुखी थीं. दरअसल मुझे मेरे पिता के सरकारी ऑफिस के चपरासी के बराबर सैलरी मिल रही थी. मां ने मुझे 12 साल तक स्कूल में शिक्षा के लिए और 12 साल तक उसके बाद कड़ी मेहनत करते देखा था. एमबीबीएस, एमडी और डीएम किया. आप एक मां के प्यार और दर्द को समझ सकते हैं.

साझा किया पढ़ाई के दौरान का भी संघर्ष

डॉक्टर सुधीर ने पढ़ाई के दौरान का संघर्ष भी सभी के साथ साझा किया है. उन्होंने कहा, पढ़ाई के दौरान करीब 5 साल तक मुझे घर से कोई देखने भी नहीं आ सका. मैंने सबकुछ अपनेआप ही किया. महज 17 साल की उम्र में बिहार से तमिलनाडु के वेल्लोर तक ट्रेन के जनरल कोच से सफर किया, क्योंकि मेरे मां-बाप की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. MBBS के दौरान मेरे पास कपड़ों के बस दो ही सेट थे. सीनियर्स से किताबें उधार लेकर पढ़ाई की. बाहर रेस्टोरेंट में खाना नहीं खाया. धूम्रपान या शराब का शौक नहीं किया. 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.