डीएनए हिंदी: क्या आपने कभी सोचा है कि जब हम रोते हैं तो हमारी आंखों से आंसू क्यों निकलते हैं? अगर नहीं तो आज हम आपको इसके पीछे के विज्ञान के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं लेकिन इससे पहले बता दें कि आंसू कई तरह के होते हैं. वैज्ञानिकों ने इन्हें तीन श्रेणीयों में बांटा है. पहली श्रेणी है बेसल. इस श्रेणी में नॉन-इमोशनल आंसू आते हैं जो आंखों को सूखा होने से बचाते हैं और उन्हें स्वस्थ रखते हैं. दूसरी श्रेणी में भी नॉन-इमोशनल आंसू ही आते हैं. ये आंसू किसी खास गंध पर प्रतिक्रिया से आते हैं. जैसे प्याज काटने पर आने वाले आंसू. तीसरी और आखिरी श्रेणी में क्राइंग आंसू आते हैं. क्राइंग आंसू भावनात्मक प्रतिक्रिया के तौर पर आते हैं.
क्यों निकलते हैं आंसू?
वैज्ञानिकों के अनुसार, इंसान के दिमाग में एक लिंबिक सिस्टम होता है जिसमें ब्रेन का हाइपोथैलेमस होता है. यह हिस्सा नर्वस सिस्टम से सीधे संपर्क में रहता है जिसे न्यूरोट्रांसमिटर संकेत देता है और किसी भावना के एक्सट्रीम होने पर हम रो पड़ते हैं. इस दौरान शरीर में कई तरह की प्रतिक्रिताएं होती हैं. यह खुशी के वक्त भी होता है और दुख के वक्त भी. इससे शरीर में कई तरह के हॉर्मोनल चेंज भी होते हैं जिसमें एड्रनीलिन लेवल में बदलाव आदि शामिल हैं.
यह भी पढ़ें- Hearing Loss Effect: क्या कम सुनने वाले बुजुर्ग बात भी कम करने लगते हैं?
रोने के हैं कई फायदे
इसके अलावा आपको जानकर हैरानी होगी कि रोना हमारे शरीर के लिए अच्छा होता है. इससे ना सिर्फ आंख बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी ठीक रहता है. एक स्टडी के मुताबिक, जिस तरह से पसीना और यूरिन जब शरीर के बाहर निकलते हैं तो शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं, ठीक वैसे ही आंसू आने पर भी आंखों की सफाई हो जाती है. बेसल आंसू में 98 प्रतिशत पानी होता है, यह आंखों को लुब्रिकेट रखता है और इंफेक्शन से बचाता है. वहीं, क्राइंग आंसू में स्ट्रेस हॉर्मोन्स और टॉक्सिन्स की मात्रा सबसे अधिक होती है. इनका बह जाना भी काफी फायेदमंद होता है.
यह भी पढ़ें- Fitness Tips: 5 योगासन जो दूर करेंगे छोटी-छोटी परेशानी, ऐसे करें ट्राय
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों पर अलग नज़रिया, फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.