Viral News in Hindi: कॉरपोरेट कल्चर की कई बार बुराई हो चुकी है. खासतौर पर इस कल्चर के नाम पर कर्मचारियों को छुट्टियां कम देने और काम के घंटे बढ़ाने की जो कवायद चलती रहती है, उसे लेकर लोग सोशल मीडिया पर तमाम बार अपनी भड़ास निकालते रहते हैं. कॉरपोरेट कंपनियों के कर्मचारी किस तरह 'ओवरवर्क' का शिकार होकर जान गंवा रहे हैं, यह बात पिछले दिनों पुणे में EY कंपनी में काम करने वाली नौजवान युवती की मौत के बाद सबके सामने आ चुका है. वह लड़की रात में भी सोने की बजाय मैनेजर की तरफ से मिले काम को पूरा करने में ही जुटी रहती थी और अचानक उसकी नर्वस ब्रेकडाउन से मौत हो गई. इसके बाद लोगों ने सोशल मीडिया पर कॉरपोरेट कल्चर की बेहद बुराई की थी. इसके बावजूद कॉरपोरेट कल्चर वाली कंपनियों पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है. इसका अंदाजा एक कंपनी के उस ऐलान से हुआ है, जिसमें कंपनी ने अपने कर्मचारियों के छुट्टियां लेने पर रोक लगा दी है. कंपनी ने स्टाफ का संकट होने का हवाला देते हुए कर्मचारियों के बीमारी की छुट्टी (Sick Leave) लेने पर भी बैन लगा दिया है. कंपनी का यह आदेश सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसे लेकर लोग जमकर भड़ास निकाल रहे हैं. एक यूजर ने तो यहां तक कह दिया कि यदि आपको मरना है तो उसके लिए भी कंपनी के एचआर को 3 दिन पहले बताना होगा.
Reddit पर वायरल हुआ है पोस्ट
दरअसल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म रेडिट पर किसी ने एक कंपनी का इंटरनल नोटिस अपलोड किया है. नोटिस में कंपनी ने 25 नवंबर स 31 दिसंबर को सबसे व्यस्त समय बताया है और इस दौरान कामकाज ज्यादा होने की बात कही है. साथ ही कंपनी ने इस दौरान लोगों को छुट्टियां देने की गुंजाइश नहीं होने की बात कहते हुए इस पर रोक लगा दी है. कंपनी ने बीमार पड़ने पर यानी सिक लीव लेने से भी कर्मचारियों को मना कर दिया है. रेडिट पर यह नोटिस पोस्ट होते ही लोग गुस्से में भड़क गए हैं. इससे कॉर्पोरेट कल्चर में कर्मचारियों पर होने वाले अत्याचार को लेकर सोशल मीडिया पर बहस शुरू हो गई है.
'मेरे बीमार पड़ने से भी कंपनी को कोई फर्क नहीं पड़ता'
सोशल मीडिया पर यूजर्स ने गुस्से में तरह-तरह के कमेंट लिखे हैं. एक यूजर ने लिखा,'अगर आप मर रहे हैं तो कृपया अपनी कंपनी को तीन दिन पहले सूचित कर दीजिए.' दूसरे यूजर ने लिखा,'कंपनियों की ऐसी हरकतों के कारण ही लोगों के पास नौकरी छोड़ने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं होता है.' तीसरे यूजर ने लिखा,'कॉर्पोरेट को यह क्यों ठीक लगता है? भगवान न करे कि मैं बीमार पड़ जाऊं, कंपनी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.'
क्यों भड़का हुआ है ज्यादा गुस्सा?
दरअसल कंपनी ने जिस पीरियड के लिए छुट्टियां लेने पर बैन लगाया है, वो टाइम पीरियड यानी नवंबर से 1 जनवरी के बीच का समय अधिकतर देशों में छुट्टियों का सीजन माना जाता है. खासतौर पर ईसाई धर्म को मानने वाले देशों में क्रिसमस और न्यू ईयर की छुट्टियों के चलते इस टाइम पीरियड का बहुत ज्यादा बेसब्री से इंतजार किया जाता है. इसी टाइम पीरियड में कंपनी ने छुट्टियां लेने पर रोक लगाई है, जिस पर लोगों का नाराज होने स्वाभाविक माना जा रहा है.
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