डीएनए हिंदी: Pakistan Latest News- पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बेहद संकट से गुजर रही है. महंगाई चरण स्तर पर पहुंच चुकी है. लोगों को एक वक्त की रोटी भी ठीक से नहीं मिल पा रही है. पाकिस्तान पूरी तरह कंगाल हो चुका है. ऐसे में एक पाकिस्तानी मछुआरे की किस्मत ऐसी पलटी है कि वह रातोंरात करोड़पति बन गया है. कराची शहर के मछुआरे हाजी बलोच की कहानी सुनकर शायद आप हैरान रह जाएंगे, लेकिन महज एक वक्त की रोटी जुटाने के लिए समुद्र में मछली पकड़ने की कोशिश कर रहे हाजी बलोच के जाल में कुछ ऐसी चीज फंस गई, जिसने उसे एक झटके में कंगाल से करोड़पति बना दिया.
बलोच के जाल में फंसी 'सोवा' मछली
कराची शहर के पास इब्राहिम हैदरी फिशिंग विलेज में रहने वाले हाजी बलोच सोमवार को रोजाना की तरह अरब सागर में मछली पकड़ने गए थे. बलोच के साथ उनकी नाव पर काम करने वाले बाकी मछुआरे भी थे. उन्होंने रोजाना की तरह समुद्र में जाल फेंका. थोड़ी देर बाद जाल में कुछ फंसने की भनक मिली, तो उन लोगों ने उसे ऊपर खींचना शुरू कर दिया. जब जाल ऊपर आया तो सभी की आंखें फटी रह गईं, क्योंकि उनके जाल में बहुत सारी गोल्डन फिश (Golden Fish) फंसी हुई थी, जिसे स्थानीय भाषा में सोवा मछली (Sowa Fish) कहते हैं. यह मछली बेशकीमती मानी जाती है, जिसकी बाजार में बेहद महंगी कीमत मिलती है.
7 करोड़ रुपये में बिकी बलोच को मिली गोल्डन फिश
शुक्रवार सुबह हाजी बलोच को मिली गोल्डन फिश कराची बंदरगाह पर बेचा गया. इसके लिए हाजी बलोच ने नीलामी का आयोजन किया था. पाकिस्तान फिशरमैन फोल्क फोरम के मुबारक खान के मुताबिक, इस नीलामी में हाजी बलोच को उनकी गोल्डन फिश के बदले 7 करोड़ पाकिस्तानी रुपये की भारीभरकम रकम मिली है.
बलोच ने नीलामी से मिला पैसा अपनी नाव के वर्करों में भी बांटा
हाजी बलोच ने बताया कि हम कराची में खुले समुद्र में मछली पकड़ने गए हुए थे. इसी दौरान हमारे हाथ गोल्डन फिश का बड़ा जखीरा लगा, जो हमारे लिए अप्रत्याशित खजाने जैसा था. उन्होंने कहा कि मछली की नीलामी से मिले पैसे में से मैंने अपनी नाव के क्रू के सात सदस्यों को भी हिस्सा दिया है, क्योंकि हो सकता है कि यह मछली उनमें से किसी एक की किस्मत के कारण हमारे जाल में फंसी थी.
क्यों इतनी महंगी कीमत पर बिकती है गोल्डन फिश
गोल्डन फिश यानी सोवा मछली अपने औषधीय गुणों के लिए बेहद मशहूर है. इस मछली के पेट को कई तरह की बीमारियों को ठीक करने में रामबाण सरीखा माना जाता है. इसके चलते यह मछली बेशकीमती मानी जाती है. इसके अलावा इस मछली से मिलने वाला धागे जैसा एक तत्व सर्जिकल ऑपरेशंस में उपयोग में आता है. यह मछली करीब 20 से 40 किलोग्राम वजन की होती है और इसकी लंबाई 1.5 मीटर तक हो सकती है. आमतौर पर यह पूर्वी एशियाई देशों के समुद्र में पाई जाती है. गोल्डन फिश का कई तरह की बीमारियों में दवा के तौर पर सदियों से उपयोग किया जा रहा है. साथ ही इसे कई इलाकों में ट्रेडिशनल खानपान का भी हिस्सा बनाया गया है. माना जा रहा है कि यह मछली ब्रीडिंग सीजन होने के कारण अंडे देने के लिए कराची के समुद्र तट पर पहुंची थी और इसी दौरान जाल में फंस गई.
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