Rajasthan: मुझसे ज्यादा घर की तुम्हें जरूरत है... खुद से पहले परिंदों के लिए बनाया 35 मंजिला बर्ड हाउस

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: May 20, 2022, 02:45 PM IST

10 लाख की लागत से तैयार किए जा रहे इस पक्षी घर में कुल 560 घरोंदे बनाए गए हैं जिनमें 2 हजार पक्षियों के बैठने और दाने-पानी की व्यवस्था है.

डीएनए हिंदी: राजस्थान के बूंदी जिले के गोवल्या गांव से एक अनोखा मामला सामने आया है. यहां दो भाइयों ने अपने माता-पिता से मिली पक्षियों एंव प्रकृति से प्रेम करने की प्रेरणा के चलते 2 हजार पक्षियों के लिए 35 मंजिला 51 फीट ऊंचा पक्षी घर बनाया है. जानकारी के अनुसार, राधेश्याम मीणा और उनके बड़े भाई  भरतराज मीणा खुद टीन शेड के घर में रहते हैं. बावजूद इसके उन्होंने अपना घर पक्का करने की बजाय 10 लाख की लागत लगाकर पक्षियों के लिए आशियाना बनाया है ताकि उन्हें सर्दी, गर्मी और बरसात में भी रहने को छत मिल सके. 

मामले को लेकर पेशे से व्याख्याता राधेश्याम मीणा और ग्राम विकास अधिकारी भरतराज मीणा का कहना है कि उन्होंने बचपन से ही अपनी माता फोरी बाई और पिता देवलाल को घर के आंगन में पक्षियों के लिए दाना डालते हुए देखा है. बस इसी से प्रेरित होकर दोनों भाइयों ने अपने टीन शेड के मकान को पक्का करने से पहले पक्षियों के लिए बर्ड हाउस बनाने का फैसला किया.

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मां-बाप के नाम को जोड़कर रखा 'फोरीदेव' नाम
उन्होंने बताया, बर्ड हाउस का नर्माण अंतिम चरण में है. 10 लाख की लागत से तैयार किए जा रहे इस पक्षी घर में कुल 560 घरोंदे बनाए गए हैं जिनमें 2 हजार पक्षियों के बैठने और दाने-पानी की व्यवस्था है. इतना ही नहीं, दोनों भाइयों ने उक्त पक्षी घर का नाम अपने  माता-पिता के नाम पर फोरीदेव रखा है. 

व्याख्याता राधेश्याम मीणा के अनुसार, पक्षीघर की ऊंचाई 51 फीट है. इसके निर्माण के लिए पहले  3 गुणा 3 फीट चौड़ाई का 12 फीट ऊंचा पिलर बनाया गया है. इस पर प्लेटफॉर्म बनाकर 35 मंजिलें बनाई गई हैं. एक मंजिल पर 16 घरोंदे जबकि पक्षीघर में कुल 560 घरोंदे बनाए गए हैं. प्रत्येक मंजिल का प्लेटफॉर्म अष्टकोण में बनाया गया है और हर घरोंदे का आकार 13 बाई 13 इंच रखा गया है. 

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उनका कहना है कि यहां सर्दी, गर्मी और बरसात में भी 2 हजार पक्षी सुरक्षित रह सकेंगे. पक्षी घर के निर्माण के लिए स्थान का चयन करते समय इस बात का भी ध्यान रखा गया है इसके आस-पास पेड़ अधिक हों ताकि पक्षियों को एक सुरक्षित वातावरण मिल सके. 

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