डीएनए हिंदी: Swarna Shatabdi Train Case- क्या कभी आप नई दिल्ली से अमृतसर ट्रेन से गए हैं? आपने इस रूट पर चलने वाली स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन नंबर 12030 (Swarna Shatabdi Express Train Number 12030) को देखा होगा? आपके हिसाब से इस ट्रेन का मालिक कौन है? यह सवाल पढ़कर आप कह रहे होंगे कि अजब बेवकूफ है. देश में चलने वाली सभी ट्रेनों का मालिक भारतीय रेलवे है, तो इस ट्रेन का मालिक भी वही होगा. लेकिन यदि मैं कहूं कि आप गलत हैं. यह ट्रेन भारतीय रेलवे की नहीं दरअसल पंजाब के एक किसान की है. जी हां, ये सच है. इस ट्रेन का मालिकाना हक कोर्ट ने एक किसान को दे रखा है. हालांकि यह मामला अब भी कोर्ट में है, लेकिन यदि सही मायने में देखा जाए तो ट्रेन का मालिकाना हक पंजाब के किसान संपूर्ण सिंह के नाम पर है. चलिए आपको पूरी बात बताते हैं.
रेल लाइन जमीन अधिग्रहण से जुड़ा है केस
दरअसल साल 2007 में चंडीगढ़ से लुधियाना के बीच रेल लाइन निर्माण की कवायद शुरू की गई. इस लाइन के निर्माण के लिए अन्य किसानों की तरह लुधियाना जिले के कटाणा गांव के किसान संपूर्ण सिंह की भी जमीन का अधिग्रहण किया गया था. किसान संपूर्ण सिंह ने मुआवजे की रकम को पर्याप्त नहीं माना और भारतीय रेलवे पर सही मुआवजे की मांग के साथ कोर्ट में मुकदमा कर दिया.
कोर्ट ने दिया 1.47 करोड़ रुपये चुकाने का आदेश
साल 2012 में दाखिल संपूर्ण सिंह की याचिका पर कोर्ट ने मुआवजे की रकम बढ़ा दी. कोर्ट ने जनवरी, 2015 में मुआवजे को 25 लाख रुपये प्रति एकड़ से बढ़ाकर 50 लाख रुपये कर दिया. इसके चलते संपूर्ण सिंह का मुआवजा 1.47 करोड़ रुपये हो गया, लेकिन रेलवे ने महज 42 लाख रुपये की रकम का ही भुगतान किया. इसके खिलाफ संपूर्ण सिंह ने दोबारा मुकदमा कर दिया.
कोर्ट के आदेश की अवहेलना पर किसान के नाम कर द ट्रेन
साल 2017 में लुधियाना कोर्ट के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज जसपाल वर्मा ने संपूर्ण सिंह की याचिका की सुनवाई की. जज वर्मा ने पाया कि उत्तर रेलवे ने कोर्ट के साल 2015 के आदेश की अवहेलना की है, जिसमें कोर्ट ने रेलवे को बढ़ाए गए मुआवजे की शेष बाकी 1.05 करोड़ रुपये की रकम किसान को सौंपने का आदेश दिया था. इस पर जज वर्मा ने अभूतपूर्व फैसला सुनाते हुए ट्रेन को तकनीकी रूप से पीड़ित किसान को सौंपने के लिए कहा. इस फैसले के अनुपालन में ट्रेन को लुधियाना रेलवे स्टेशन पर अटैच्ड के तौर पर खड़ा करने के आदेश दिए गए. साथ ही लुधियाना के स्टेशन मास्टर का ऑफिस भी अटैच्ड करने के आदेश दिए गए. इससे ट्रेन का मालिक कटाणा गांव का किसान संपूर्ण सिंह बन गया.
किसान ने ट्रेन के आने पर ड्राइवर को सौंपे थे दस्तावेज
संपूर्ण सिंह अदालत का फैसला आने के बाद स्टेशन पर अपने वकील राकेश गांधी के साथ पहुंच गए थे. उन्होंने शाम 6.55 बजे ट्रेन के स्टेशन पर पहुंचते ही ड्राइवर को फैसले की कॉपी थमा दी. हालांकि सेक्शन इंजीनियर प्रदीप कुमार ने स्टेशन पर ही मौजूद एक कोर्ट अधिकारी के जरिये ट्रेन की सुपुर्दगी लेते हुए उसे रिलीज करा दिया. हालांकि इसके बावजूद अब यह भारतीय रेलवे के बजाय कोर्ट की संपत्ति बन गई है. अदालत में यह मामला अब भी लंबित है, जिसके चलते अब भी किसान इस ट्रेन का मालिक है.
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