Taj Mahal Controversy: ताजमहल में भरा भूसा और घोड़े भी बंधवाए, हिंदू राजाओं की वो कहानियां जो आपने आजतक नहीं सुनी होंगी

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:May 14, 2022, 11:39 AM IST

कहा जाता है कि सन 1907 में भरतपुर के जाटों ने ताजमहल पर हमला बोल दिया था. इस दौरान उन्होंने ताजमहल में भूसा भरकर इसे अस्तबल बना दिया था.

डीएनए हिंदी: ताजमहल को लेकर इन दिनों कई तरह के दावे (Taj Mahal Controversy) किए जा रहे हैं. पहले इसके कमरों को लेकर कोर्ट में एक याचिका दर्ज की गई, फिर जयपुर राजघराने की बेटी और बीजेपी सांसद दीया कुमारी (Diya Kumari) ने दावा किया कि ताजमहल जयपुर राजपरिवार की जमीन पर बना है और शाहजहां ने धोखे से इस जमीन पर कब्जा किया था. वहीं इससे पहले भी इस जगह को लेकर कई तरह की बातें सामने आती रही हैं. इसी कड़ी में आज हम आपको ताजमहल को लेकर उन प्रचलित कहानियों के बारे में बताने जा रहे हैं जो काफी सालों से चली आ रही हैं.

जाटों ने भर दिया था भूसा!
कहा जाता है कि सन 1907 में भरतपुर के जाटों ने ताजमहल पर हमला बोल दिया था. इस दौरान वे सोने-चांदी की परतों से मढ़ा ताजमहल का मुख्यद्वार उखाड़कर अपने साथ ले गए थे. इसके अलावा जाटों ने ताजमहल में भूसा भरकर इसे अस्तबल बना दिया था.

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होना पड़ा था लूट का शिकार!
एक अन्य दावे के मुताबिक, 1857 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी ताजमहल को निशाना बनाया गया. इस दौरान आक्रमणकारियों ने इसके अंदर जड़े हुए बेशकीमती पत्थरों जैसे लाजवर्त आदि को खोदकर निकाल लिया था.

राजा सूरजमल ने बंधवा दिए थे घोड़े!
वहीं एक वर्ग का कहना है कि भरतपुर के जाट और राजा सूरजमल ने ताजमहल में घोड़े बंधवा दिए थे. दावों की मानें तो महाराजा सूरजमल ने करीब एक महीने तक युद्ध लड़कर आगरा के किले पर फतेह हासिल की थी. इसके बाद अन्य राजाओं ने उन्हें ताजमहल को गिराने की सलाह दी थी. हालांकि, उन्होंने ऐसा ना करते हुए ताजमहल में चारा रखवा कर उसे अपने घोड़ों के लिए अस्तबल के रूप में इस्तेमाल किया. 

बता दें कि सन 1761 में करीब 30 हजार मुगल सेना को हराकर महाराजा सूरजमल ने आगरा किले पर फतेह किया था. यह प्रसंग उसी दौरान का बताया जाता है.

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कर्ज चुनाने के लिए होने वाली थी नीलामी!
इतना ही नहीं, कई रिपोर्ट्स में ताजमहल को बेचर कर्ज चुनाने के दावे भी किए गए हैं. कहा जाता है कि ताजमहल को बेचकर सरकार के कर्ज को चुनाने का प्लान भी बनाया गया था. इसके लिए बंगाल के तत्कालीन गवर्नर लॉर्ड विलियम बैटिंक ने ताज को नीलामी पर चढ़ा दिया. हालांकि कुछ कारणों के चलते नीलामी नहीं हो पाई और ताजमहल टूटने से बच गया. 

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