Indian Railway News: दुनिया के सबसे लंबे-चौड़े रेल नेटवर्क में से एक भारतीय रेलवे को हालिया सालों में घाटे के बजाय मुनाफे वाली संस्था के तौर पर जाना गया है. भारतीय रेलवे रोजाना 12,817 ट्रेन संचालित करता है, जिनमें करीब 2.3 करोड़ लोग सफर करते हैं. त्योहार के दिनों में रेलवे का टिकट मिलना किसी भी जंग को लड़ने से कम नहीं माना जाता है. इसके चलते कई भारतीय ट्रेन करोड़ों रुपये का रेवेन्यू कमाकर दे रही हैं. रेलवे की तरफ से जारी आंकड़ों के हिसाब से बंगलुरु राजधानी एक्सप्रेस ने साल 2023-24 के दौरान 176 करोड़ रुपये कमाए हैं. ऐसे में यदि कोई आपको ये कहे कि एक ट्रेन ऐसी भी है, जो मुनाफा नहीं बल्कि करोड़ों रुपये का घाटा दे चुकी है तो आपको कैसा लगेगा. यह ट्रेन देश की पहली प्राइवेट ट्रेन तेजस एक्सप्रेस (Tejas Express) है, जिसे भारतीय रेलवे की बजाय IRCTC (Indian Railway Catering and Tourism Corporation) चलाती है. तेजस एक्सप्रेस ट्रेन अब तक 62,88,00000 यानी करीब 63 करोड़ रुपये का फटका लगा चुकी है.
दो तेजस ट्रेन चल रही हैं और दोनो ही घाटे में
भारतीय रेलवे के नेटवर्क पर IRCTC फिलहाल दो तेजस एक्सप्रेस ट्रेन चला रहा है. इनमें से एक ट्रेन दिल्ली से लखनऊ और दूसरी मुंबई से अहमदाबाद के बीच चल रही है. ये दोनों ही ट्रेन घाटे में चल रही हैं. साल 2019 में कोरोना काल से ठीक पहले शुरू की गई तेजस एक्सप्रेस ट्रेन के संचालन की जिम्मेदारी IRCTC को दी गई थी. उस समय इसे देश में प्राइवेट ट्रेनों के संचालन का पहला कदम बताया गया था. शुरुआत में तेजस एक्सप्रेस को बहुत यात्री मिले. एयर होस्टेस जैसी ड्रेस पहनी महिला सहायिका और अनूठी सुविधाओं ने लोगों को इस ट्रेन में सफर करने के लिए उत्साहित किया. साल 2019-20 में दिल्ली-लखनऊ रूट पर इस ट्रेन ने 2.33 करोड़ रुपये का मुनाफा भी कमाया, लेकिन पहले कोरोना महामारी और फिर इसके बाद अन्य कारणों से इस ट्रेन को यात्री मिलना बंद हो गए.
तीन साल में ही 63 करोड़ पर पहुंच गया घाटा
IRCTC की तरफ से दिए गए आंकड़ों के हिसाब से साल 2020-21 में इस ट्रेन को 16.69 करोड़ रुपये का घाटा हुआ, जबकि 2021-22 में यह घाटा 8.50 करोड़ रुपये का रहा था. इसके बाद ट्रेन का घाटा लगातार बढ़ता ही जा रहा है. तीन साल में ही इस ट्रेन का घाटा 63.88 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. दिल्ली-लखनऊ तेजस ट्रेन ही 27.52 करोड़ रुपये के घाटे में चल रही है.
यह है घाटे का कारण
तेजस एक्सप्रेस ट्रेन के लगातार बढ़ते घाटे का कारण यात्रियों का इससे मुंह मोड़ लेना रहा है. इस ट्रेन में औसतन 200 से 250 सीट रोजाना खाली रह जाती हैं. यात्री नहीं मिलने और घाटा लगातार बढ़ने के कारण पहले हफ्ते में छह दिन चलने वाली तेजस एक्सप्रेस के फेरे भी कम किए गए हैं. अब यह ट्रेन सप्ताह में चार दिन ही चलती है.
राजधानी-शताब्दी के सामने वैकल्पिक ट्रेन बनीं
तेजस एक्सप्रेस में चलना शुरुआत में लोग स्टेट्स सिंबल मानते थे, लेकिन ज्यादा किराये के चलते धीरे-धीरे यह वैकल्पिक ट्रेन ही बनकर रह गई है. रेलवे सूत्रों के मुताबिक, राजधानी-शताब्दी एक्सप्रेस में भी तेजस जैसी ही सुविधाएं हैं, जबकि किराया बेहद कम है. ऐसे में अब जिन लोगों को राजधानी या शताब्दी का टिकट नहीं मिलता है, वही पैसेंजर तेजस एक्सप्रेस में सफर कर रहा है.
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