डीएनए हिंदी: कहा जाता है कि किन्नरों की दुआओं में बहुत शक्ति होती है. यही वजह है कि घर में किसी भी शुभ काम को करने के दौरान किन्नर (Kinnar) जरूर आते हैं. कोई त्यौहार, शादी ब्याह या किसी के यहां बच्चा पैदा होने पर ये अपना आशीर्वाद देने वहां पहुंच ही जाते हैं और अपने हिसाब से जश्न मनाते हैं. इस दौरान बहुत से लोग उनकी मांग को पूरा कर देते हैं तो वहीं कुछ लोग उन्हें भगा भी देते हैं. किन्नरों को हमारे समाज में थर्ड जेंडर का दर्जा दिया गया है. हालांकि उनसे जुड़ी बहुत सी ऐसी बातें हैं जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं.
मौत से पहले ही हो जाता है आभास!
किन्नरों के रहन-सहन के तरीके से लेकर अंतिम संस्कार तक सारी चीजें आम लोगों से अलग होती हैं. बताया जाता है कि इनके पास आध्यात्मिक शक्ति होती है जिससे उन्हें मौत का आभास पहले से ही हो जाता है. कहते हैं जब भी किसी किन्नर की मौत होने वाली है तो ये कहीं भी आना-जाना बंद कर देते हैं. इतना ही नहीं, अपनी मौत का आभास होते ही ये खाना भी त्याग देते हैं. इस दौरान ये केवल पानी पीते हैं और ईश्वर से अपने और दूसरे किन्नरों के लिए दुआ करते हैं कि अगले जन्म में वे किन्नर न बनें.
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रात में ही क्यों निकाली जाती है किन्नरों की शव यात्रा?
बता दें कि किन्नरों में शव को जलाने की बजाए दफनाया जाता है. शव को सफेद कपड़े में लपेटा जाता है. इस दौरान ध्यान रखा जाता है कि शव किसी चीज से बंधा न हो. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि दिवंगत की आत्मा आजाद हो सके. इसके अलावा माना जाता है कि अगर मृत किन्नर के शरीर को किसी आम जन ने देख लिया तो वो दिवंगत किन्नर अगले जन्म में भी किन्नर ही बनेगा. यही वजह है कि इनके अंतिम संस्कार के सभी रिवाज देर रात में पूरे किए जाते हैं.
जूते-चप्पलों से पीटा जाता है शव!
किन्नर समुदाय के लोग शव यात्रा निकालने से पहले शव को जूते-चप्पलों से पीटते हैं ताकि दिवंगत किन्नर को दोबारा इस योनि में जन्म न मिले. सभी किन्नर शव के पास खड़े होकर उसकी मुक्ति के लिए अपने आराध्य देव को धन्यवाद देते हैं. इसके अलावा दान-पुण्य किया जाता है.
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मौत पर मनाते हैं जश्न!
किन्नर समाज में किसी की मौत होने पर जश्न मनाने का रिवाज है. यह किन्नर रूपी नर्क जीवन से मुक्ति मिलने के लिए किया जाता है. इसके अलावा अंतिम संस्कार के बाद समूचा किन्नर समुदाय एक हफ्ते तक भूखा ही रहता है.
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