डीएनए हिंदी: अगर कुछ पाने का इरादा पक्का हो तो मंजिल खुद ब खुद कदम चूम लेती है. कुछ ऐसा ही हुआ मध्य प्रदेश के सतना के युवक शिवकांत कुशवाहा के साथ जिनके संघर्ष की कहानी हर किसी को प्रेरणा देती है. अमरपाटन तहसील के रहने वाले शिवकांत पहले सब्जी बेचा करते थे और आज जज हो गए हैं. उनका सिलेक्शन सिविल जज के तौर पर हुआ है. हैरान करने वाली बात यह है कि इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्होंने कोई कोचिंग नहीं ली है. वह खुद ही समय निकाल कर पढ़ा करते थे. उन्होंने OBC कैटेगरी में पूरे प्रदेश में दूसरी पोजीशन हासिल की है. उनके सिविल जज बनने की खबर मिलते ही उनके पूरे गांव में खुशी का माहौल रहा.
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बता दें कि शिवाकांत कुशवाहा का परिवार आर्थिक रूप से इतना समर्थ नहीं है और वह अभी भी कच्चा मकान में रहते हैं. उनके पिता किसान थे. आर्थिक तंगी से जूझते हुए भी उन्होंने बड़ी मेहनत से अपने परिवार को पाला. उनकी मां भी घर चलाने के लिए काम किा करती थी. शिवकांत के दो भाई और एक बहन है. वो दूसरे नंबर के बेटे हैं. वह बचपन से ही पढ़ने में काफी अच्छी थीं. घर की परिस्थिति ठीक नहीं होने की वजह से उन्होंने सब्जी का ठेला लगा लिया. बावजूद इसके उन्होंने कभी पढ़ाई नहीं छोड़ी.
मां-बाप नहीं देख सके यह खुशी
शिवाकांत अपने पिता के एक छोटे से खेत में सब्जी उगाकर बेचते हैं. उनके पिता पहले चल बसे थे कुछ समय बाद उनकी मां के निधन के बाद उनके परिवार की हालत और खराब हो गई. शिवाकांत को बचपन से ही पढ़ाई का काफी शौक था. उन्होंने कभी भी परिवार की आर्थिक स्थिति को अपने करियर के बीच रुकावट नहीं बनने दिया. इतना ही नहीं अपने परिवार को सपोर्ट करने के लिए गन्ने के जूस का ठेला भी लगाया करते थे.
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