Sep 2, 2023, 01:21 PM IST
करेंसी की पावर, आर्थिक स्थिरता, ब्याज दरों और वैश्विक व्यापार गतिशीलता के अधार पर अलग-अलग होती हैं.
अमेरिका की इकोनॉमिक स्ट्रेंथ के चलते अमेरिकी डॉलर को अक्सर दुनिया में सबसे पावरफुल करेंसी माना जाता है.
हालांकि यूरो (EURO) भी एक मजबूत करेंसी है, जिसका उपयोग कई यूरोपीय देशों द्वारा किया जाता है, जो इसे यूरोपीय संघ में डॉलर के मुकाबले अधिक प्रभावशाली बनाता है.
वहीं ब्रिटश पाउंड की बात करें तो यह डॉलर और यूरो के बाद दुनिया में तीसरी सबसे अधिक कारोबार वाली मुद्रा है. यूनाइटेड किंगडम और कुछ ब्रिटिश टेरिटरीज में यह प्रभावशाली है.
अमेरिकी डॉलर दुनिया की प्राइमरी रिजर्व करेंसी है, जो इसे वैश्विक स्तर पर इसे और मजबूत बनाती है.
वहीं यूरो दूसरी और ब्रिटिश पाउंड चौथी सबसे बड़ी रिजर्व करेंसी है. जिस वजह से डॉलर के बाद इन मुद्राओं को महत्व दिया जाता है.
अक्सर विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव होता है जिससे ग्लोबल मार्केट में इन मुद्रओं की पावर पर असर पड़ता है.
वहीं ब्रिटिश पाउंड की ताकत ब्रेक्सिट और यूके में आर्थिक विकास जैसे कारकों से प्रभावित हो सकती है.
इसलिए अमेरिकी डॉलर तीनों करेंसी में सबसे शक्तिशाली मुद्रा है.
हालांकि 2000 दशक के अधिकांश समय में यूरो अमेरिकी डॉलर से अधिक मजबूत था, लेकिन 2008 के वित्तीय संकट के बाद से अमेरिकी डॉलर मजबूत हुआ है.
हालांकि भारतीय परिपेक्ष्य में जब रुपये में कारोबार होता है तो 'उच्चतम मुद्रा' उसके उच्च मूल्य से निर्धारित होती है. 2023 में 'कुवैती दीनार' को कीमत के आधार पर दुनिया की सबसे महंगी करेंसी माना गया.