हर साल भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है.
मौलाना आजाद साल 1947 से 1958 तक स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री रहे. उनकी दूरदृष्टि और नीतियों ने आधुनिक भारत की शिक्षा प्रणाली की नींव रखी.
मौलाना आजाद ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यानी आईआईटी, यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन यानी यूजीसी और ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन यानी AICTE जैसे संस्थानों की स्थापना में अहम भूमिका निभाई.
आजाद ने सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा, व्यस्क साक्षरता के साथ लड़कियों और ग्रामीण समुदायों की शिक्षा पर जोर दिया. उनके कार्यकाल के दौरान प्राइमरी और सेकेंडरी एजुकेशन को प्राथमिकता दी गई.
आजाद ने हायर एजुकेशन को बढ़ावा दिया और जामिया मिलिया इस्लामिया और इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशंस जैसे संस्थाओं की स्थापना की. रिसर्च और डेलवेपमेंट पर उनके प्रयास सराहनीय थे.
11 नवंबर 1888 को मक्का में जन्मे आजाद की पढ़ाई घर पर ही हुई थी. उन्हें कई भाषाओं में महारत हासिल थी. वे गणित, दर्शन और विज्ञान के अच्छे जानकार थे.
आजाद ने छोटी उम्र में ही पत्रिकाएं छापनी शुरू कर दी. उन्होंने अल-हिलाल और अल बलाग जैसी पत्रिकाएं प्रकाशित की और स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
आजाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेता और महात्मा गांधी के सहयोगी थे. सविनय अवज्ञा के लिए उनकी वकालत ने भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई को आगे बढ़ाने में काफी अहम भूमिका निभाई.
देश के स्वतंत्रता संग्राम और शिक्षा के क्षेत्र में उनके अतुलनीय योगदान के लिए साल 1992 में उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया.