छोटे बजट की फिल्म 'मुंजया' सिनेमाघरों से सोशल मीडिया तक छाई हुई है, जो एक मराठी लोक कथा पर आधारित है. इसके बार में फिल्म की एक्ट्रेस शारवरी वाघ ने बताया था कि बचपन में उनसे कहा जाता था कि 'खाना खा लो वरना मुंजया आ जाएगा. वो तुम्हारा खाना खा जाएगा'.
फिल्म 'स्त्री' भी गांव में प्रचलित एक लोक कथा पर आधारित है. जिसमें एक पिशाचिनी मर्दों का शिकार करती है.
साल 2018 में आई बेहतरीन हॉरर फिल्म 'तुंबाड' भी लोक कथाओं से प्रेरित है. जिसमें लालच की हदें पार करने वाले को हस्तर नाम का राक्षस सजा देता है.
फिल्म 'बुलबुल' भी डरावनी लोक कथाओं से प्रेरित है, जिसमें जंगल में रहने वाली एक चुड़ैल की कहानी दिखाई गई है, जिसने जिंदा रहते हुए बहुत जुल्म सहे और पिशाच बनने के बाद बुरे लोगों से बदला लिया.
छोटे बजट की फिल्म 'कांतारा' भी लोक कथाओं से प्रेरित है. इस फिल्म में गांव के जंगलों में रहने वाली एक अजीब और ताकतवर शक्ति की कहानी दिखाई गई है.
शाहरुख खान और रानी मुखर्जी की फिल्म 'पहेली' में भी ऐसी ही लोक कथा की कहानी दिखाई गई है. जिसमें एक तालाब के पास जाना नई नवेली दुल्हन को भारी पड़ जाता है और उसके पीछे-पीछे एक भूत उसके पति का रूप लेकर आ जाता है.
हॉलीवुड फिल्म 'स्लेंडर मैन' भी जंगल में रहने वाले एक अजीब से क्रीचर की लोक कथाओं पर आधारित है, जिसमें बेहद लंबा और दुबले पतले शरीर वाला एक आदमी इंसानों को जान ले लेता है.