सिर्फ पेट पूजा के लिए नहीं, इस वजह से फिल्मों में होता है Interval
Saubhagya Gupta
ओटीटी के इस दौर में भी लोग सिनेमाघरों में जाकर फिल्में देखना पसंद करते हैं. दुनियाभर में एक से बढ़कर एक थिएटर्स हैं.
हर हफ्ते शुक्रवार को दो से तीन या फिर उससे ज्यादा फिल्में रिलीज हो ही जाती हैं जिन्हें देखने के लिए लोग थिएटर पहुंच जाते हैं.
फिल्म देखने के बीच में आपको 10 मिनट का इंटरवल भी मिलता है. इसका मतलब रिफ्रेशमेंट है पर ऐसा नहीं है.
जी हां, आपको जानकर हैरानी होगी कि इंटरवल सिर्फ पॉपकॉर्न खरीदने के लिए नहीं होता है बल्कि इसके मायनें कई और भी हैं.
ऐसा कहा जाता है कि जब सिनेमाघरों की शुरुआत हुई थी तो उस दौर में थिएटर्स में फिल्म रील में चला करती थी.
एक के खत्म होने के बाद दूसरे को लगाने में पांच से 10 मिनट के ब्रेक की जरूरत पड़ती थी, क्योंकि मशीनें इतनी गर्म हो जाती थी कि उन्हें ठंडा करना भी जरूरी होता था.
बस इस 10 मिनट के ब्रेक में दर्शक रिफ्रेशमेंट की तलाश करने लगे और ये ब्रेक आपको अब हर फिल्म में मिलता है.
एक और वजह ये है कि भारतीय फिल्में लंबी होती हैं और इस वजह से फिल्म को दो पार्ट में डिवाइड किया जाता है, ताकि दर्शकों को भी थोड़ा रिलैक्स मिल सके.
हॉलीवुड की फिल्मों में Interval का चलन नहीं है पर भारतीय फिल्मों में इस ब्रेक को दिया जाता है.