Mar 8, 2024, 09:41 AM IST

ये 3 दिक्कतें छीन सकती हैं बच्चे की आंखों की रौशनी

Ritu Singh

मोबाइल-टैब और लैपटॉप के चलते आंखों की परेशानियां बच्चों में तेजी से बढ़ रही हैं.

आज आपको उन संकेतों के बारे में बताएंगे जो एक बेहद गंभीर आंखों की बीमारी का लक्षण हैं.

बलरामपुर अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संजय तेवतिया के अनुसार बच्चों में  लेजी आई (Lazy Eye) की समस्या काफी नजर आ रही है. 

लेजी आई (Lazy Eye) जिसे एम्बलाइयोपिया कहते हैं. ज्यादातर मामलों में केवल एक आंख ही प्रभावित होती है, लेकिन कुछ मामलों में दोनों आंखों में धुंधलापन हो जाता है.

डॉ. तेवतिया बताते हैं कि ये बीमारी बचपन से ही विकसित होने लगती है . जिसमें आंखों में से एक की दृष्टि पूरी तरह से विकसित नहीं होती है.

क्योंकि मस्तिष्क केवल सामान्य आंख पर ध्यान केंद्रित करता है, एक को अनदेखा करता है, जो अच्छी तरह से काम नहीं करती है या एक 'लेजी' आई है.

एक आंख में दृष्टि तब खराब होती है जब उस विशेष क्षेत्र में नर्व सेल्स टूटती हैं. नर्व्स ठीक से परिपक्व नहीं हो पाती हैं, जिससे दृष्टि मस्तिष्क को नहीं पहचान पाती है. 

 इसके लक्षण बचपन में ही दिखने लगते हैं. यह आमतौर पर 6 और 9 के बीच की उम्र में होता है. 7 साल की उम्र से पहले इसे पहचान कर इलाज करने से इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है.

 लेजी आई के इन लक्षणों पर रखें नजर, किसी एक आंख की ब्राइटनेस का बढ़ना यानी एक आंख से कोई भी रंग हल्का दिखना या सफेदी का बढ़ना.

इसके अलावा आंखों में भारीपन,आंख ठीक से फोकस ना कर पाना,दोनों आंखों की तस्वीरें एक समान नहीं दिखाई देती है.

इसके अलावा आंखों में भारीपन,आंख ठीक से फोकस ना कर पाना,दोनों आंखों की तस्वीरें एक समान नहीं दिखाई देती है.

घर पर कैसे टेस्ट करें- एक आंख को कवर करें और देखें कि बच्चा असहज महसूस करता है या नहीं. 

अगर बच्चा एक आंख में शिकायत कर रहा तो तुरंत इसका इलाज कराएं.

प्रत्येक दिन कुछ घंटों के लिए मजबूत आंख को आई पैच से ढकने से कमजोर आंख को अधिक मेहनत करने के लिए मजबूर होना पड़ता है, जिससे उसका दृष्टि विकास उत्तेजित होता है.