सिकंदर पूरी दुनिया को फतेह करना का ख्वाब देखता था. अपने इस अभियान में वो काफी सफल भी रहा था. ईरान, इराक और मिस्र जैसे देशों पर उसने फतह हासिल कर ली थी.
अब वो भारत पर भी फतह हासिल करना चाहता था. इसलिए उसने झेलम की लड़ाई का ऐलान कर दिया.
उस वक्त राजा पोरस पंजाब और सिंध इलाके के राजा थे, उनके राज्य का नाम पुरुवास था.
पोरस की पहचान एक बहादुर और दयालु राजा के तौर पर होती थी. झेलम में सिकंदर की भिड़ंत इसी बहादुर योद्धा से हुई थी.
पोरस की सेना ने सिकंदर की सेना की हालत पतली कर दी. पोरस के भाई अमर ने सिकंदर के घोड़े को अपने भाले से मार डाला.
सिकंदर जमीन पर गिरा पड़ा था. यूनानी सेना ने अपने सारे युद्धकाल में कभी ऐसा नहीं देखा था.
सिकंदर के सामने 7 फुट का राजा पोरस तलवार लिए सामने खड़ा था. वो पोरस को देख कर सहम गया था.
राजा पोरस ने जख्मी सिकंदर को उठ खड़े होने का समय दिया. तभी उसके अंगरक्षक उसे तेजी से वहां से भगा ले गए.
युद्ध के बाद सिकंदर की थकी हुई सेना ने आगे बढ़ने से इंकार कर दिया, इस युद्ध के बाद सिकंदर अपनी सेना के साथ वापस यूनान के लिए निकल पड़ा.