अर्जुन की मृत्यु पर मां गंगा सबसे अधिक प्रसन्न हुईं और जोर-जोर से हंसने लगीं.
माना जाता है कि महाभारत में जीतने के लिए जिन योद्धाओं का मरना जरूरी था उनमें से एक योद्धा भीष्म पितामह भी थे.
इसके बाद युद्ध के दौरान अर्जुन ने भीष्म पर तीरों की बरसात कर दी और भीष्म बाणों की शैय्या पर लेट गए.
अपने पुत्र की ये दशा देखकर मां गंगा को अत्यधिक क्रोध आया.
ऐसे में मां युद्ध भूमि में प्रकट हुईं और उन्होंने अर्जुन को श्राप दे दिया.
मां गंगा ने कहा कि अर्जुन की मौत उनके ही अपने पुत्र के हाथों होगी.
इसके बाद अर्जुन की मृत्यु खुद उनके पुत्र बब्रुवाहन के हाथों हुई और मां गंगा जोर जोर से हंसने लगीं.
माना जाता है मां गंगा ने ही अर्जुन के बेटे बब्रुवाहन को इस तरह भ्रमित किया था ताकि वह गुस्से में आकर अपने पिता का सिर काट दे.
लेकिन अर्जुन की एक पत्नी ने श्री कृष्ण की मदद से अर्जुन को दोबारा जीवित कर लिया था.
इसके बाद श्री कृष्ण ने मां गंगा को समझाया कि युद्ध भूमि पर भीष्म की मृत्यु होना धर्म की रक्षा के लिए जरूरी था, इसके बाद मां गंगा का गुस्सा शांत हो गया.