भारतीय संविधान में आपको उप प्रधानमंत्री पद का जिक्र ढूंढने पर भी नहीं मिलेगा. फिर भी आजादी के 75 साल के इतिहास में यह पद कई बार सरकार का हिस्सा बना है.
कभी सरकार की जरूरत तो कभी वरिष्ठ नेताओं के अहम को तुष्ट करने के लिए भारतीय राजनीति में उप प्रधानमंत्री पद पर शपथ दिलाई जाती रही है.
भारतीय राजनीति में 8 मौके ऐसे रहे हैं, जब पीएम के साथ ही केंद्रीय कैबिनेट के दूसरे मुखिया के तौर पर 7 नेताओं को उप प्रधानमंत्री भी बनाया गया है.
सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के उप प्रधानमंत्री बनने वाले पहले नेता थे. 1947 में इस पद पर आने के बाद पटेल साल 1950 में अपने निधन तक उप प्रधानमंत्री बने रहे.
छोटे से कार्यकाल में सरदार पटेल ने बड़े काम किए, जिनमें जम्मू-कश्मीर, हैदराबाद व जूनागढ़ रियासतों को भारत का हिस्सा बनाना शामिल है.
मोरारजी देसाई 1967 में कांग्रेस में कलह शांत करने के लिए इंदिरा गांधी कैबिनेट में डिप्टी पीएम बनाए गए थे. वे 1969 तक ही इस पद पर रह पाए.
चौधरी चरण सिंह जनता पार्टी की सरकार में जनवरी, 1977 से जुलाई 1979 तक उप प्रधानमंत्री रहे और कई प्रशासनिक सुधार वाले फैसले लिए.
बाबू जगजीवन राम भी चरण सिंह के साथ ही जनवरी 1977 से जुलाई 1979 तक उप प्रधानमंत्री पद पर रहे. यह एकसाथ दो डिप्टी पीएम बनने का इकलौता मौका है.
चौधरी चरण सिंह ने जनता पार्टी से अलग होकर 1979 में सरकार बनाई थी. तब उन्होंने यशवंतराव चव्हाण को अपना उपप्रधानमंत्री नियुक्त किया था.
ताऊ के नाम से मशहूर चौधरी देवी लाल भारतीय राजनीतिक इतिहास के इकलौते नेता हैं, जो दो बार उप प्रधानमंत्री पद पर तैनात रहे हैं.
देवीलाल पहली बार वीपी सिंह की सरकार में दिसंबर, 1989 से अगस्त, 1990 तक और फिर चंद्रशेखर की कैबिनेट में नवंबर, 1990 से जून, 1991 तक डिप्टी पीएम रहे थे.
लालकृष्ण आडवाणी भारत के उप प्रधानमंत्री बनने वाले आखिरी नेता थे. उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में जून, 2002 से मई, 2004 तक यह पद संभाला था.