Aug 6, 2024, 10:44 AM IST
तानसेन मुगल बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक थे.
लेकिन आपको बता दें तानसेन पहले अकबर के दरबार में नहीं थे.
तानसेन की कला को राजा मानसिंह तोमर ने सराहा और प्रोत्साहित किया.
राजा तोमर की मृत्यु के बाद तानसेन वृंदावन के लिए रवाना हो गए.
वृंदावन में उन्होंने स्वामी हरिदास से संगीत की शिक्षा प्राप्त की और उसके बाद तानसेन दौलत खां के दरबार में चले गए.
कुछ समय के बाद तानसेन ग्वालियर के राजा चांद के दरबार में शामिल हो गए.
धीरे-धीरे उनकी गायकी की चर्चा दूर-दूर तक पहुंचने लगी थी.
तानसेन इसके बाद रीवा के राजा रामचंद्र के दरबारी गायक बने. यहीं पर अकबर ने पहली बार तानसेन को गाते हुए सुना.
मुगल सम्राट अकबर तानसेन की कला से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने राजा रामचंद्र से तोहफे के तौर पर तानसेन को मांग लिया.