Jun 1, 2024, 07:50 PM IST

अर्जुन के इस शिष्य ने कई बार किया कर्ण को परास्त, बस इस वजह से दिया था जीवनदान

Sumit Tiwari

महाभारत में कई बलवान योद्धा थे. कई योद्धा ऐसे भी थे जो पल भर में इस युद्ध को समाप्त कर सकते थे. 

आज हम आपको एक ऐसे ही योद्धा के बारे में बताने जा रहे है. जो अर्जुन का शिष्य था और बेहद पराक्रमी भी था. 

शात्यकि नाम के योध्दा को शनि का पुत्र माना जाता है. सात्यकि को 'दारुक', 'युयुधान' तथा 'शैनेय' नाम से भी जाना जाता है.

महाभारत युद्ध के समय सभी बलशाली यहां तक कि श्री कृष्ण की नारायणी सेना भी कौरवों की तरफ पांडवो से भिड़ने को तैयार थी.

तभी अर्जुन के शिष्य सात्यकि ने पांडवों की ओर से इस युध्द में भाग लेने के लिए भगवान कृष्ण से वितनी की. 

सात्यकि ने अपने रणकौशल के बल से द्रोणाचार्य, कौरव सेना, कृतवर्मा, कंबोजों, यवन सेना, दु:शासन आदि योद्धाओं को पराजित कर दिया. 

इस यु्द्ध में सात्यकि ने कर्ण को कई बार परास्त किया था. लेकिन कर्ण को मारने की प्रतिज्ञा अर्जुन ने ली थी. 

यही वजह थी कि सात्यकि ने कर्ण से युद्ध के दौरान उसका वध नहीं किया, बल्कि उसे हर बार जिंदा छोड़ता रहा. 

भूरिश्रवा से युद्ध के दौरान सात्यकि परास्त होने लगा लेकिन तभी अर्जुन ने आकर भूरिश्रवा का वध कर दिया. 

श्रीकृष्ण और अर्जुन की वजह से सात्यकि महाभारत के युद्ध में अंत तक जीवित रहा.