Jul 26, 2024, 07:39 PM IST

कारगिल विजय दिवस पर ब्रिगेडियर करिअप्पा ने सुनाई वो दास्तां

Nirmal Kumar

कारगिल युद्ध के दौरान करिअप्पा कैप्टन थे,

 पांच पारा के कैप्टन बालयेदा मुथन्ना कारिअप्पा देश के वो जांबाज हैं जो कारगिल युद्ध में न केवल खुद बचकर आए बल्कि अपनी पूरी टुकड़ी को बचाकर लाए थे. 

कारगिल पर विजय के लिए देश ने कई कुर्बानियां दी हैं. वह कहते हैं इस युद्ध में 527 जवान देश ने खोए थे और 1363 जवान घायल हुए थे.

कारगिल युद्ध का एक एक मंजर फिर से नजरों के सामने उमड़-घुमड़ रहा है.

करिअप्पा  23-24 जुलाई की उस दरमियानी रात को याद करते हुए कहते हैं, पाकिस्तानी दुश्मन हमसे महज 40 मीटर की दूरी पर था और आरपीजी से गोलियां बरसा रहा था. रॉकेट लांचर से निकलते छर्रे हमारे जवानों के शरीर को छलनी और जख्मी कर रहे थे.

 मैंने रेडियो सेट पर अपने अफसर से बोफोर्स के लिए आर्टिलरी मांगी. मुझे दूसरी तरफ से डांटा जा रहा था क्या अपने ही जवानों पर गोली दाग दें.

 अगर हमें उस समय आर्टिलरी सपोर्ट नहीं मिलती तो हमारे जवानों की शहादत बेकार चली जाती और दुश्मन पहाड़ी पर कब्जा कर लेते.

पूरी टुकड़ी अब पोजीशन ले चुकी थी. कुछ ही मिनट में गोला आया और हमारे चारों तरफ खून मांस के लोथड़े थे.

हमने सिर ऊपर किया तो सभी जिंदा थे. एक दूसरे को गले लगा रहे थे. कई जवानों के आंसू रुक नहीं रहे थे. हमने फतह कर लिया था.