Jul 6, 2024, 09:29 PM IST
भारत की ही तरह इस देश में भी तवायफों से रईस सीखते थे अदब
Smita Mugdha
भारत में तवायफों के कोठे को अदब और तहजीब के लिए भी जाना जाता था.
शहर के नवाबों और रईसों के युवा लड़कों को तहजीब, शायरी और अदब सीखने के लिए इन कोठों पर भेजा जाता था.
भारत की ही तरह जापान में भी गीशा परंपरा होती थी और वहां पर गायिकाओं को समाज के कुलीन और अमीर लोगों का संरक्षण होता था.
समाज के अमीर और रईस लोग गीशा परंपरा की गायिकाओं को संरक्षण देते थे और वो तहजीब सिखाती थीं.
जापान की ये गीशा परंपरा की गायिकाओं को समाज में उच्च स्थान होता था और वो खास कार्यक्रमों में ही परफॉर्म करती थीं.
गीशा परंपरा की गायिकाओं का जीवन तवायफों जैसा था और आम तौर पर शादी और गृहस्थ जीवन का सुख नहीं मिलता था.
दोनों ही देशों की परंपरा इस लिहाज से समान थी कि यह संगीत, कला और अदब के संरक्षण की जगह थी.
भारत में आजादी के बाद तवायफों का दौर ढल गया और जापान में भी धीरे-धीरे इनका अवसान होने लगा.
बाद में मनोरंजन के लिए फिल्में और रिकॉर्ड जैसी चीजें आ गईं और लोग थिएटर की तरफ मुड़ने लगे.
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