Aug 11, 2024, 08:48 PM IST

दिल्ली का ये मशहूर बाजार कभी होता था तवायफों का मोहल्ला

Rahish Khan

मुगल काल में तवायफों के मोहल्ला हुआ करते थे. जहां नाचना, गाना और मनोरंजन काम होता था.

आज भले ही तवायफों को जिस्मफिरोशी से जोड़कर देखा जाता हो, लेकिन उस समय उनका काम संगीत, नृत्य का होता था.

इतना ही नहीं तवायफों को तहजीब, नफासत और कला से जोड़कर देखा जाता था. 

राजा-महाराजा अपने बच्चों को तवायफों को कोठे पर तहजीब और कला सीखने के लिए भेजते थे.

18वीं सदी में दिल्ली का चावड़ी बाजार तवायफों का मोहल्ला हुआ करता था.

उस दौरान तमाम राजा-महाराजा और अंग्रेज कोठों पर शाम बिताने आया करते थे.

चावड़ी बाजार के इस कोठे पर फरजाना नाम की एक बला की खूबसूरत तवायफ होती थी.

फरजाना चावड़ी बाजार की चानी मानी तवायफ थी, जिसे देखकर हर राजा का दिल धड़कता था.

फरजाना ही बाद में बेगम समरू बनीं. उनकी गिनती देश की सबसे दौलतमंद और ताकतवर महिलाओं में होती थी.