Nov 10, 2023, 10:26 PM IST

सरकारी कर्मचारी के चुनाव लड़ने पर क्या कहते हैं नियम

Kuldeep Panwar

राजस्थान में डुंगरपूर के सरकारी जिला अस्पताल के डॉक्टर दीपक घोघरा को हाई कोर्ट ने विधानसभा चुनाव लड़ने की इजाजत दी है. इससे यह सवाल फिर से गर्म है कि सरकारी अफसर या कर्मचारी कोई राजनीतिक चुनाव लड़ सकता है या नहीं.

सरकारी कर्मचारी चुनाव लड़ सकता है या नहीं, यदि इसे लेकर आपके मन में भी कोई संशय है तो जान लीजिए कि इसे लेकर कार्मिक नियमों में स्थिति स्पष्ट की गई है.

केंद्रीय नौकरियों के सेंट्रल सिविल सर्विसेस (कंडक्ट) रूल्स- 1964 में सरकारी कर्मचारियों के चुनाव लड़ने पर रोक लगाई गई है. इसके नियम-5 में स्पष्ट तौर पर कर्मचारी को चुनाव लड़ने से रोकने का प्रावधान है.

नियम-5 में साफ लिखा है कि सिविल सर्वेंट राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़ेगा और ना ही किसी तरह के राजनीतिक आंदोलन से जुड़ेगा. वह अपने परिवार के सदस्यों को भी राजनीति में शामिल नहीं होने देगा.

इसमें यह भी कहा गया है कि यदि सरकारी कर्मचारी के परिवार का सदस्य किसी भी तरह के राजनीतिक आंदोलन या दल से जुड़ता है तो उसे इसकी जानकारी सरकार को देनी होगी.

इस नियम में साफतौर पर किसी भी सरकारी कर्मचारी के लिए राजनीतिक दल या व्यक्ति का प्रचार नहीं करने और इसके लिए अपना प्रभाव यूज करने पर भी रोक है. 

राज्य सरकारों ने भी सरकारी नौकरी के अपने-अपने नियम बना रखे हैं, लेकिन सभी जगह अफसरों-कर्मचारियों के लिए चुनाव लड़ने और राजनीतिक गतिविधि में शामिल होने की मनाही है.

राज्य सरकारों के नियमों के मुताबिक, किसी राजनीतिक रैली में ड्यूटी करने के दौरान कर्मचारी वहां भाषण देने, नारे लगाने और पार्टी का झंडा उठाने का काम नहीं कर सकता है.

राज्य सरकार के अधीन कर्मचारी किसी राजनीतिक रैली में कार्यकर्ता के तौर पर शामिल होने के लिए भी नहीं जा सकता है. 

इन नियमों को पढ़ने के बाद आप जान गए होंगे कि नौकरी करते समय कोई भी सरकारी कर्मचारी चुनाव नहीं लड़ सकता है. चुनाव लड़ने के लिए जरूरी है कि उसने या तो पद से इस्तीफा दे दिया हो या वह रिटायर हो गया हो.