Feb 14, 2024, 12:50 PM IST
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की जन्मतिथि को लेकर मतभेद है. पर निराला अपना जन्मदिन वसंत पंचमी के रोज मनाते थे.
निराला ने कविताओं को छंदों के बंधन से मुक्त किया. उन्होंने परंपरागत छंद से अलग होकर कविताएं लिखनी शुरू की.
हिंदी का पहला शोकगीत 'सरोज-स्मृति' को माना जाता है, जो निराला ने अपनी बेटी की असमय मृत्यु के बाद लिखी थी.
निराला की 'भिक्षुक' को पहली छंदमुक्त कविता माना जाता है. इसमें शब्दों से जो दृश्य पैदा हुआ है, वह अद्भुत है.
निराला की बहुचर्चित कविता है 'राम की शक्ति पूजा'. इस कविता को सुनते हुए आपको नाद सौंदर्य का आभास होगा.
निराला हिंदी कवि हैं. पर वे संस्कृत और बांग्ला भाषा के भी जानकार थे. ये सारी भाषाएं उन्होंने स्वाध्याय से अर्जित की थीं.
पहले महायुद्ध के बाद फैली महामारी ने पत्नी मनोहरा देवी को छीन लिया. फिर चाचा, भाई और भाभी को भी लील गया.
निराला का उत्तरार्द्ध जीवन इलाहाबाद में बीता. वहीं दारागंज मुहल्ले में 15 Oct' 1961 को उनका देहावसान हुआ.
मुफलिसी में रहे निराला के गुजर जाने के 15 वर्ष बाद 1976 में सरकार ने निराला के नाम का डाक टिकट जारी किया