May 27, 2024, 04:40 PM IST
अय्याशी में मुगलों से कम नहीं थी हीरामंडी की तवायफें, समंदर वाले शहर से मंगाती थीं पान
Smita Mugdha
लाहौर के हीरामंडी की कुछ तवायफें काफी पैसे वाली थीं और उनके शौक किसी रानी-महारानी से कम नहीं थे.
हीरामंडी की तवायफों के बीच पान खाना काफी लोकप्रिय था और उनके कला के कद्रदानों के लिए भी पान मंगाया जाता था.
क्या आप जानते हैं कि लाहौर में रहने वाली तवायफें अपने शहर का नहीं, बल्कि समुद्र किनारे के एक शहर से पान मंगवाती थीं.
यह शहर कोई और नहीं बल्कि कराची है जहां का मीठे पान का पत्ता आज भी काफी मशहूर है.
हीरामंडी के कोठों पर भी कराची से ही खास पान के पत्ते और गुलकंद आते थे और हीरामंडी में यह काफी लोकप्रिय था.
कहा तो यहां तक जाता है कि कोठों पर कुछ खास लोग सिर्फ गुलकंद बनाने और पान का बीड़ा लगाने के लिए ही होते थे.
हीरामंडी की तवायफों के शाही शौक के बारे में और भी कई कहानियां दशकों से चली आ रही हैं.
कहा जाता है कि उस दौर में लाहौर के सोने-चांदी की दुकानों से नवाबों और जमींदारों के बाद हीरामंडी ही सबसे भारी जेवर बिकते थे.
भारतीय संगीत और कला को आगे ले जाने में तवायफों और उस दौर के कोठों का अहम रोल था.
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