महाभारत का युद्ध भले ही कुरुक्षेत्र में हुआ था, लेकिन इस महायुद्ध के पीछे का कारण हस्तिनापुर था, जो उस समय कुरु वंश की राजधानी था.
भारतीय इतिहास में सोने की चिड़िया जैसे समृद्ध हस्तिनापुर शहर का जिक्र किया जाता है. क्या यह शहर आज भी मौजूद है? यदि ये सवाल आपके दिमाग में भी है तो चलिए हम जवाब देते हैं.
महाभारत का हस्तिनापुर आज भी मौजूद है. यह उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में गंगा नदी के करीब मौजूद है. दिल्ली से हस्तिनापुर की दूरी लगभग 100 किलोमीटर है.
महाभारत के हस्तिनापुर की शक्ल आज पूरी तरह बदल चुकी है. समय की मार में यहां महाभारतकालीन अवशेष अब नाममात्र को ही बचे हुए हैं.
भारतीय पुरातत्व विभाग की तरफ से हस्तिनापुर में की गई सीमित खुदाई में यहां के टीलों में महाभारतकाल के अवशेष बरामद हुए हैं.
मान्यता है कि पांडव टीला कहलाने वाली जगह पर कभी हस्तिनापुर का भव्य राजमहल खड़ा होता था. अब इस टीले पर महज कुछ अवशेष ही मौजूद हैं.
पांडव टीले पर किसी पुराने महल की दीवारों के छिटपुट अवशेष अब भी मौजूद हैं. मान्यता है कि द्रोपदी के श्राप के कारण यहां धरती पलट गई थी, जिससे महल जमीन के अंदर समा गया था.
महाभारत काल का एक कुआं अब भी हस्तिनापुर में मौजूद है. इस कुएं पर लिखा भी गया है कि यह पांडवों का कुआं है. हालांकि इसे पुरातात्विक मान्यता नहीं मिली है.
पांडवकालीन एक ही पुख्ता साक्ष्य अब भी हस्तिनापुर में दिखाई देता है. यह साक्ष्य पांडेश्वर महादेव मंदिर है. मान्यता है कि इस मंदिर में कुंती-द्रोपदी पूजा करती थीं.
हस्तिनापुर में कर्ण मंदिर के भी महाभारतकालीन होने का दावा किया जाता है. मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना दानवीर कर्ण ने की थी.
हस्तिनापुर में द्रोपदी के स्नान वाला द्रोपदी तालाब और बूढ़ी गंगा भी मौजूद है. मान्यता है बूढ़ी गंगा के रूप में मां गंगा के अपने पुत्र भीष्म से मिलने हस्तिनापुर आती थीं.
मौजूदा हस्तिनापुर की ज्यादा बड़ी पहचान जैन धर्म के तीर्थस्थल के तौर पर है. यहां जैन समाज के बहुत ही भव्य और विशाल मंदिर कई एकड़ इलाके में बने हुए हैं.