वो मुगल बादशाह जिसने गद्दी पर बैठते ही मचाया कत्ल-ए-आम
Aditya Prakash
अकबर बूढ़े हो रहे थे, उनके बेटों के बीच सत्ता की लड़ाई चल रही थी.
हरम से लेकर लेकर दरबार तक इसके लिए साजिश रचे जा रहे थे.
सलीम यानी जहांगीर पहले ही बागी हो चुके थे. साथ ही गद्दी पर बैठने के ख्वाब दिन-रात देख रहे थे.
दानियाल सत्ता संभालने में कामयाब होंगे, अकबर को इसको लेकर शक था.
तमाम साजिशों और सियासी दांवपेच के बाद अंतत जहांगीर बादशाहत नसीब हुई.
जहांगीर गद्दी पर बैठते ही अपने दुश्मनों को चुन-चुनकर मारने लगा. उसने अपने सारे हिसाब बराबर किए.
यही स्थिति जहांगीर के बेटों के साथ भी उत्पन्न हुई. उसके दोनों बेटे शहरयार और शाहजहां गद्दी के लिए आपस में लड़ने लगे. गद्दी आखिर शाहजहां को ही नसीब हुई.