दिल्ली भले ही ऐतिहासिक रूप से प्राचीनकाल से मौजूद है, लेकिन मौजूदा दिल्ली को मुगल बादशाहों की बनाई नगरी के नाम से ही जाना जाता है.
भारत में करीब 450 साल तक राज करने वाली मुगलिया सल्तनत के दौर में सत्ता का केंद्र रही दिल्ली में मुगलों के बनाए बहुत सारे भवन हैं.
दूसरे मुगल बादशाह हुमायूं का मकबरा भी ऐसे ही भवनों में से एक हैं, जिसे मुगलिया भवन निर्माण शैली का बड़ा उदाहरण माना जाता है.
यह खूबसूरत भवन मुगल बादशाह हुमायूं की सीढ़ियों से गिरकर मौत होने के बाद उन्हें कब्र में दफन करने के लिए बनाया गया था.
क्या आप जानते हैं कि हुमायूं के मकबरे में अकेले वही दफन नहीं हैं बल्कि मुगल वंश के करीब 150 लोगों की कब्रगाह भी यही जगह है.
मुगल वंश के इन 150 लोगों की कब्रें मकबरे की मेन बिल्डिंग के सामने बगीचे में बनी हुई हैं यानी यह आप मुगल कब्रिस्तान भी कह सकते हैं.
हुमायूं के मकबरे में दफन होने वाले लोगों में सबसे ज्यादा चर्चित नाम मुगल राजकुमार दाराशिकोह का है, जिन्हें मुगल 'पंडित' भी कहते थे.
मुगल बादशाह शाहजहां के बेटे दाराशिकोह को दिल्ली का तख्त हासिल करने की लड़ाई में उनके ही छोटे भाई औरंगजेब ने मार दिया था.
हालांकि कई इतिहासकार दाराशिकोह को मृत्युदंड देने के बाद हुमायूं के मकबरे के बजाय कहीं और दफन किए जाने का दावा भी करते हैं.
हुमायूं की बेगम हमीदा बेगम की कब्र भी करीब 30 एकड़ जमीन पर फैले इसी मकबरे के परिसर में है. यहां कई राजदरबारी भी दफन हैं.
हुमायूं का मकबरा उनकी पहली पत्नी बेगा बेगम (हाजी बेगम) ने 1569 से 1570 के बीच तैयार कराया था, जो पहला उद्यान-मकबरा था.
मकबरे का डिजाइन मिर्क मिर्जा ग्यास व उनके बेटे सैय्यद मुहम्मद के चुने फारसी आर्किटेक्ट्स ने बनाया था. इस कारण मकबरे के चारों तरफ पारसी वास्तुशैली में बगीचे हैं.
हुमायूं का मकबरा बनाने में तब 15 लाख रुपये की लागत आई थी, जिसे 1993 में यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट की लिस्ट में शामिल किया है.
मान्यता है कि दुनिया के 7 अजूबों में शामिल आगरा के ताजमहल का डिजाइन हुमायूं के मकबरे के डिजाइन से ही प्रेरित होकर बनाया गया था.