Jul 26, 2024, 09:45 AM IST

Kargil Vijay Diwas: जरूर जानिए कारगिल युद्ध की ये 10 खास बात

Kuldeep Panwar

आजादी के बाद पाकिस्तान ने 1965 और 1971 में जहां भारत के साथ आमने-सामने की जंग में मुंह की खाई थी, वहीं 1948 और 1999 में छद्म युद्ध में भी उसे पटखनी खानी पड़ी थी.

1948 के युद्ध में भले ही कुछ गलत सलाहकारों के कारण भारत को संयुक्त राष्ट्र चले जाने पर कश्मीर का हिस्सा पाकिस्तानी कब्जे में छोड़ना पड़ा था.

लेकिन 1999 के कारगिल युद्ध में भारतीय सेना के वीर जवानों ने प्राणों की परवाह न करते हुए देश की 1-1 इंच जमीन पाकिस्तानी कब्जे से खाली कराई थी. इसी कारगिल युद्ध के बारे में हम 10 खास बात आपको बता रहे हैं.

कारगिल युद्ध 3 मई, 1999 से 26 जुलाई, 1999 तक तत्कालीन जम्मू-कश्मीर (अब लद्दाख) के कारगिल जिले में ऊंचे पहाड़ों पर लड़ा गया था. 

कारगिल युद्ध पाकिस्तानी सेना और कश्मीरी आतंकियों की कारगिल इलाके में संयुक्त घुसपैठ कर भारतीय चौकियों पर कब्जा जमा लेने के कारण हुआ था.

कारगिल को दोबारा जीतने के लिए भारतीय सेना ने घुसपैठियों के खिलाफ 84 दिन लंबा 'ऑपरेशन विजय (Operation Vijay)' चलाया था.

कारगिल युद्ध इस कारण खास माना जाता है कि यह बेहद ऊंचे पहाड़ों पर लड़ा गया था, जिनमें से कुछ 18,000 फुट से भी ज्यादा ऊंची थीं, जिन पर ऑक्सीजन की कमी से सांस लेना भी मुश्किल था.

कारगिल में दोनों ही तरफ से बड़ी संख्या में मौत हुई थीं. भारत के 500 से ज्यादा जवान शहीद हुए थे और पाकिस्तान के 700 से ज्यादा सैनिक मरे थे.

युद्ध के दौरान बड़े पैमाने पर आर्टिलरी, वायु सेना और इंफेंट्री ऑपरेशंस का इस्तेमाल किया गया था. भारत के लिए बोफोर्स तोप गेम चेंजर रही थी.

भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट्स-हेलिकॉप्टरों की एयर स्ट्राइक अहम साबित हुई थी, जिसस दुश्मन को सामरिक पोजीशन से हटना पड़ा था.

भारतीय सेना का एक शहीद अफसर कैप्टन विक्रम बत्रा अपनी बहादुरी के चलते नेशनल हीरो बन गए थे. उनके मशहूर शब्द 'ये दिल मांगे मोर' आज भी आइकॉनिक हैं.

लड़ाई के दौरान भारतीय सेना के तोलोलिंग, टाइगर हिल और पॉइंट 4875 पर कब्जा कर लेने के बाद पाकिस्तान की हार पक्की हो गई थी.

कारगिल युद्ध को भारत-पाकिस्तान की सेनाओं के बीच 1971 की लड़ाई के बाद आमने-सामने का पहला मिलिट्री टकराव माना जाता है.

हिमालय के संवेदनशील इलाके में चल रहे कारगिल युद्ध ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा था, जिसके बाद कई देशों ने पाकिस्तान पर पीछे हटने का दबाव बनाया था.