Oct 7, 2023, 08:31 AM IST
देश की राजधानी दिल्ली में घूमने के लिए कई स्मारक और ऐतिहासिक स्थल है. जिन्हें देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं.
इन स्मारकों में दिल्ली का खूनी दरवाजा भी शामिल है, सूर्यास्त के बाद यहां आपको डर भी लग सकता है. आइए आपको बताते हैं कि इसको खूनी दरवाजा क्यों कहा जाता है.
दिल्ली में स्थित यह खूनी दरवाजा बहादुरशाह जफर मार्ग पर दिल्ली गेट के पास स्थित है. इस दरवाजे को शेरशाह सूरी ने फिरोजाबाद के लिए इस दरवाजे बनवाया था. इसे पहले काबुली बाजार के नाम से जाना जाता था.
इसी जगह 1857 की क्रांति के दमन के बाद अंग्रेजों ने अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के दो बेटों व एक पोते की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इसी कारण इस दरवाजे का नाम खूनी दरवाजा पड़ गया.
बहादुरशाह जफर के आत्मसमर्पण के अगले ही दिन विलियम हॉडसन ने तीनों शहजादों को भी समर्पण करने पर मजबूर कर दिया. इन तीनों को हुमायूं के मकबरे से लाल किले ले जा रहा था तो उसने इन्हें इस जगह रोका गया और नग्न कर गोली से मार दिया गया था.
ऐसा कहा जाता है कि जहांगीर के बादशाह बनने का अकबर के नवरत्नों ने विरोध किया तो उसने उनमें से एक अब्दुल रहीम खानखाना के दो बेटों की हत्या इसी दरवाजे पर करा दी गई थी.
यह भी कहा जाता है कि इस दरवाजे पर 1947 में विभाजन के दौरान ही इसी दरवाजे पर सैकड़ों शरणार्थियों की हत्या कर दी गई थी.
दिसंबर 2002 में यह दरवाजा फिर सुर्खियों में आया जब तीन युवकों ने यहां एक मेडिकल छात्रा के साथ दुष्कर्म किया. इस घटना के बाद से आम जनता के लिये इस स्मारक को बंदकर ताला लगा दिया गया.
दरवाजे के आसपास के इलाके में रहने वाले लोगों का दावा हैं कि आज भी यहां रात में चीखने-पुकारने की आवाजें आती हैं. जिन लोगों को यहां मारा गया उनकी आत्माएं आज भी यहीं भटकती हैं.