औरंगजेब पहला मुगल बादशाह था, जिसने मुगल साम्राज्य को दक्षिण भारत तक फैलाया था, लेकिन छत्रपति शिवाजी ने हमेशा उसकी नाक में दम करके स्वराज का भगवा झंडा बुलंद रखा था.
छत्रपति शिवाजी के असमय निधन के बाद भी औरंगजेब मराठा वीरों के बुलंद हौसलों को तोड़ नहीं सका था. क्या आप जानते हैं कि इसका कारण एक मराठा हिंदू रानी थी, जिसके नाम से ही औरंगजेब की सेना कांप जाती थी.
यह वीर हिंदू महारानी कोई और नहीं छत्रपति शिवाजी की बहू महारानी ताराबाई थी, जिनकी वीरता और सूझबूझ को मराठा इतिहास में बेहद सराहा गया है.
महारानी ताराबाई छत्रपति शिवाजी महाराज के चीफ सेनापति हंबीरराव मोहिते की बेटी थीं. उनका जन्म 1675 में हुआ था और उनकी मृत्यु 9 दिसंबर, 1761 को हुई थी.
महारानी ताराबाई का विवाह महज 8 साल की उम्र में छत्रपति शिवाजी महाराज के छोटे बेटे और संभाजी महाराज के सौतेले भाई राजाराम महाराज से हुआ था.
महारानी ताराबाई राजाराम महाराज की दूसरी पत्नी थीं. उनकी पहली पत्नी का नाम जानकीबाई था. वर्ष 1,700 में अचानक छत्रपति राजाराम महाराज का निधन होने पर ताराबाई ने सत्ता की बागडोर संभाली थी.
महारानी ताराबाई ने अपने 4 वर्षीय पुत्र शिवाजी द्वितीय को राजगद्दी पर बैठाकर छत्रपति घोषित किया और खुद सत्ता चलाई. उन्होंने वर्ष 1707 में औरंगजेब की मौत तक उसकी सेना को कई बार धूल चटाई और मुगलों के कई इलाके जीत लिए.
औरंगजेब के जिंदा रहते हुए ही मुगल सेना में महारानी ताराबाई और मराठा सेना का खौफ इस कदर फैल गया था कि इसके बाद मराठा साम्राज्य की हदें उनकी आखिरी सांस तक हमेशा बढ़ती ही रहीं.
ताराबाई ने असल में औरंगजेब के खिलाफ संघर्ष का झंडा 1790 में ही बुलंद कर दिया था, जब 1789 में संभाजी महाराज की धोखे से हत्या कराने के बाद औरंगजेब ने मराठों की राजधानी रायगढ़ पर हमला कर कब्जा कर लिया था.
ताराबाई और छत्रपति राजाराम महाराज रायगढ़ से बचकर आखिरी मराठा किले जिंजी (अब तमिलनाडु) में जा पहुंचे थे, जहां 1790 में मुगल सेनापति जुल्फिकार अली खान ने मुगल सेना लेकर हमला किया था.
राजाराम का स्वास्थ्य लगातार बिगड़ने के कारण सेना की बागडोर संभाल रही ताराबाई ने मुगल सेना को 8 साल तक यह किला नहीं जीतने दिया था. उन्होंने शिवाजी महाराज की गुरिल्ला युद्ध नीति से ही मुगलों में खौफ भर दिया था.
मुगल सेना में ताराबाई का इतना खौफ था कि मराठा टैक्स कलेक्टर मुगल साम्राज्य की हदों के अंदर भी वसूली करने लगे थे, जिससे मराठा साम्राज्य को मजबूत सेना खड़ी करने लायक धन मिला.
मुगल इतिहासकार खफी खान ने लिखा है कि महारानी ताराबाई की योजनाओं, उनके युद्ध अभियान और औरंगजेब की मौत तक मुगल फौज को लगातार हराते रहने से मराठों की शक्ति हर दिन बढ़ती दिखाई दी.