Jul 30, 2024, 03:26 PM IST

मुगलों का वो जश्न जिसमें 8 दिन तक बरसाए गए सोने के सिक्के

Rahish Khan

जहांआरा बेगम (Jahanara Begum) मुगल बादशाह शाहजहां (Shah Jahan) की सबसे बड़ी बेटी थीं.

जो खूबसूरत होने के साथ-साथ विद्वान भी थीं. शाहजहां अपने बेटों से ज्यादा जहांआरा पर भरोसा करते थे. 

1628 में जब शाहजहां मुगल सल्तनत की गद्दी पर बैठे तो तमाम जागीरें अपनी बेटी के हवाले कर दीं.

बादशाह अपनी बेटी को हर साल 6 लाख रुपये दिया करते थे. इसके अलावा सूरत का बंदरगाह भी उन्हें सौंप दिया गया.

रियासत की कमाई का ज्यादातर लेखा-जोखा जहांआरा बेगम के पास हुआ करता था.

17 जून 1631 को जहांआरा बेगम की मां मुमताज महल का निधन हुआ तो उनकी संपत्ति का आधा हिस्सा भी जहांआरा को दिया गया. 

इससे जहांआरा की दौलत में और भी इजाफा हुआ. वह उस दौर की सबसे अमरी महिला थीं. उनके पास बेशुमार दौलत थी. 

1630 में जब शाहजहां के बड़े बेटे दारा शिकोह की शादी हुई तो आगरा के महल में 8 दिन तक जश्न मनाया गया था.

इन 8 दिन तक जहांआरा बेगम ने अपना खजाना गरीब लोगों के लिए खोल दिया था. इस शादी में करीब 32 लाख रुपये खर्च हुए थे.