Mar 29, 2024, 12:16 AM IST

मुख्तार अंसारी का वो सपना, जो मौत के साथ रह गया अधूरा

Kuldeep Panwar

मुख्तार अंसारी की बांदा मेडिकल कॉलेज में हार्ट अटैक से मौत हो गई है. साथ ही उसका वो सपना अधूरा रह गया, जो उसकी आखिरी चाहत थी.

मुख्तार अंसारी ने करीब 4 दशक तक उत्तर प्रदेश में अपने दबदबे और खौफ का साम्राज्य राज्य सरकारों के समानांतर कायम किए रखा.

पहले जरायम की दुनिया और फिर राजनीतिक गलियारा, हर जगह मुख्तार और उसके भाइयों यानी अंसारी परिवार ने अलग ही रुतबा  रखा.

अंसारी परिवार के मेंबर ही नहीं बल्कि बाहरी लोग भी महज उनका नाम जपकर उत्तर प्रदेश विधानसभा से लेकर लोकसभा तक में एंट्री पाते रहे.

खुद मुख्तार अंसारी 5 बार मऊ से विधायक रहा, जबकि भाई अफजाल अंसारी 5 बार मोहम्मदाबाद सीट से विधायक और दो बार गाजीपुर से सांसद चुने गए. 

मुख्तार का बड़ा भाई शिबगतुल्ला अंसारी भी दो बार विधायक बना. मुख्तार का बेटा अब्बास अंसारी व शिबगतुल्ला का बेटा शोएब भी विधायक हैं.

सपा-बसपा हो या कांग्रेस, सभी दलों ने अंसारी ब्रदर्स के दबदबे का लाभ लिया, लेकिन किसी ने भी उन्हें सत्ता के गलियारे से अंदर एंट्री नहीं दी. 

दरअसल अंसारी परिवार के बच्चे-बूढ़े सब विधायक या सांसद तो बने, लेकिन किसी भी राजनीतिक दल ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में नहीं बैठाया.

अंसारी ब्रदर्स को मुलायम हैलीकॉप्टर में साथ घुमाते रहे और मायावती मंच से गरीबों का मसीहा बताती रही, लेकिन मंत्री बनाने के नाम पर पीछे हट गए.

मुख्तार ने अपनी फैमिली की दबदबा दिखाने के लिए कौमी एकता दल नाम से अलग पार्टी भी बनाई, जिसे बाद में बसपा में विलय कर दिया.

मुख्तार अंसारी अपने परिवार के किसी सदस्य को मंत्री बनते हुए देखने को अपना सबसे बड़ा सपना बताते रहे, जो अब उसकी मौत के साथ ही अधूरा रह गया है.