Nov 5, 2024, 09:37 PM IST

पांडवों को दुर्योधन ने नहीं दिए थे 5 गांव, आज बन चुके हैं ऐसे शहर

Kuldeep Panwar

महाभारत को दुनिया के इतिहास का सबसे भयानक युद्ध माना जाता है, जिसमें रोजाना 1 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. क्या आपको पता है कि यह युद्ध रुक सकता था?

महाभारत का युद्ध हस्तिनापुर की राजगद्दी पर पांडवों और कौरवों के बीच हक की लड़ाई को लेकर था. धृतराष्ट्र के बेटे और कौरवों में सबसे बड़े पुत्र दुर्योधन ने अपने चचेरे भाई युधिष्ठिर को राजकाज देने से इंकार कर दिया था.

पांडवों को दुर्योधन के कारण कई साल तक वनवास भी काटना पड़ा था. इसके बावजूद पांडव पूरा हस्तिनापुर साम्राज्य ना लेकर एक समझौते के जरिये युद्ध का खूनखराबा टालना चाहते थे.

दिल्ली के पास मेरठ में मौजूद हस्तिनापुर साम्राज्य का इलाका उस समय मौजूदा अफगानिस्तान के कंधार (तब गांधार) से भी आगे तक फैला हुआ था.

इस विशाल साम्राज्य में से पांडवों ने समझौते के तौर पर दुर्योधन से महज 5 गांवों पर अधिकार मांगा था. पांडवों ने ये 5 गांव महज इस कारण मांगे थे ताकि उन पर अपने पिता पांडु की पैतृक संपत्ति छोड़ने का लांछन ना लगे.

पांडवों की तरफ से समझौते का प्रस्ताव लेकर श्रीकृष्ण दूत के तौर पर हस्तिनापुर गए थे, जिनसे दुर्योधन बेहद डरता था. पांडवों के प्रस्ताव पर महाराजा धृतराष्ट्र भी सहमत थे, लेकिन दुर्योधन ने ये प्रस्ताव ठुकरा दिया था.

दुर्योधन ने श्रीकृष्ण के समझाने के बावजूद पांडवों का प्रस्ताव खारिज कर दिया था. दुर्योधन ने कहा था कि युद्ध के बिना वह पांच गांव तो क्या सुईं की नोंक के बराबर जमीन भी पांडवों को नहीं देगा.

क्या आप जानते हैं कि पांडवों ने इस प्रस्ताव में कौन से पांच गांव मांगे थे? चलिए हम बताते हैं. पांडवों ने अपने प्रस्ताव में पानीपत, सोनीपत, तिलपत, बागपत और वारणावर्त गांव मांगे थे.

पांडवों की पसंद के इन 5 गांव में से 3 का नाम आज सब जानते हैं. पानीपत जहां देश का चर्चित इंडस्ट्रियल सिटी है, वहीं सोनीपत रियल एस्टेट के अलावा नामी खिलाड़ियों के लिए प्रसिद्ध है.

बागपत भी दिल्ली से सटा हुआ जिला है. उस समय का वारणावर्त आज बागपत जिले का गांव बरनावा है. कहा जाता है कि पांडवों को जलाकर मारने की कोशिश के कारण यह गांव विकसित नहीं हुआ है.

यदि दुर्योधन ने पांडवों के प्रस्ताव मानकर उन्हें ये 5 गांव समझौते के तौर पर दे दिए होते तो विश्व को कभी भी कुरुक्षेत्र की मिट्टी लाल कर देने वाले महाभारत युद्ध के दर्शन नहीं होते.

महाभारत में पांडवों को ये 5 गांव नहीं देने के फैसले के कारण दुर्योधन को अपने सभी भाइयों की ही नहीं अपनी भी जान से हाथ धोना पड़ा था.