शिवाजी को हराने वाले इस राजा को औरंगजेब ने दी थी धोखे से मौत
Kuldeep Panwar
छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम मुगल सेना से लेकर मुगल बादशाहों तक को डरने पर मजबूर कर देता था. मुगलों को हराकर मराठा साम्राज्य की नींव रखने वाले शिवाजी केवल एक युद्ध हारे थे.
छत्रपति शिवाजी को हराने का कारनामा इतिहास की सभी किताबों में केवल एक राजपूत राजा के नाम पर दर्ज है, जिसने उन्हें पुरंदर की संधि करने पर मजबूर किया था.
यह राजपूत राजा राजस्थान के जयपुर (मुगल राज की आमेर रियासत) के महाराज मिर्जा राजा जय सिंह थे, जो केवल 11 साल की उम्र में राजगद्दी पर बैठे थे.
हालांकि राजा जय सिंह को इस बहादुरी का इनाम मुगल बादशाह औरंगजेब ने किसी और तरीके से दिया. औरंगजेब ने उन्हें धोखे से जहर पिलाकर मौत की नींद सुला दिया था.
दरअसल राजा जयसिंह बेहद हिम्मती और तेज दिमाग थे. इससे औरंगजेब डरता था. इसी कारण औरंगजेब ने 8 सितंबर, 1667 को आगरा से बुरहानपुर जा रहे जयसिंह को जहर देकर मरवा दिया था.
जय सिंह का बचपन बेहद मुश्किल में बीता था. वे आमेर के राजा मान सिंह के बेटे थे, जो उनके 2 साल का होने पर मर गए थे. मां दमयंती भाव सिंह से डरकर जय सिंह को दौसा ले गई.
आमेर का राजा भाव सिंह बने, लेकिन जब जय सिंह 11 साल के थे तो भाव सिंह की भी मौत हो गई. इसके बाद 23 दिसंबर, 1621 को जय सिंह आमेर का राजा बने.
जय सिंह ने छोटी उम्र में ही बहादुरी से बेहद नाम कमाया, जिससे पहले मुगल बादशाह जहांगीर, फिर शाहजहां और बाद में खुद औरंगजेब भी उनके कायल रहे.
शाहजहां ने कंधार युद्ध के दौरान जय सिंह की बहादुरी से खुश होकर उन्हें मिर्जा राजा की उपाधि दी. मुगल गद्दी के संघर्ष में जय सिंह ने औरंगजेब के खिलाफ दाराशिकोह का साथ दिया था.
दाराशिकोह तक जय सिंह के पहुंचने से पहले औरंगजेब ने उसकी हत्या करा दी थी. तब जयसिंह ने आगरा किले में औरंगजेब को अपना बादशाह माना, लेकिन औरंगजेब ने कभी उन पर भरोसा नहीं किया.
शिवाजी को हराने में अफजल खान और शाइस्ता खान के फेल रहने पर औरंगजेब ने राजा जय सिंह को यह जिम्मेदारी दी थी, जिन्होंने अपने रण कौशल से शिवाजी को पुरंदर के किले में घेर लिया था.
जय सिंह ने शिवाजी को किले में इस तरह फंसाया था कि 11 जून, 1665 को उन्हें हार स्वीकार कर पुरंदर की संधि करनी पड़ी, जिससे मराठों के 35 में से 23 किले मुगलों को मिल गए थे.
संधि की शर्त के तौर पर शिवाजी को अपने बेटे शंभाजी को भी औरंगजेब के पास भेजना पड़ा. इससे शिवाजी की ताकत घटकर चौथाई रह गई थी.
शिवाजी को आगरा में औरंगजेब से मिलने के लिए भेजने वाले भी जय सिंह ही थे. उन्होंने वादा किया था कि औरंगजेब शिवाजी को बंदी नहीं बनाएगा.
औरंगजेब ने शिवाजी को बंदी बनाया था तो जय सिंह ने ही वादा निभाने के लिए अपने बेटे रामसिंह और शिवाजी को पसंद करने वाली औरंगजेब की बेटी की मदद से उन्हें भागने में मदद की थी.
इतिहासकारों का मानना है कि औरंगजेब को इस बात का पता चल गया था. इसी गुस्से में उसने धोखे से मिर्जा राजा जय सिंह को जहर पिलाकर उन्हें मरवा दिया था.