Oct 25, 2023, 12:18 AM IST
महाभारत के युद्ध के दौरान हुई घटनाओं से पूरी दुनिया वाकिफ है. इनके बारे में बहुत कुछ लिखा गया है, लेकिन युद्ध से पहले कौरव-पांडव जीत के लिए क्या-क्या जतन कर रहे थे. इसके बारे में महज स्थानीय किस्से-कहानियों में ही पता चलता है.
ऐसा ही एक किस्सा पांडवों की जीत को तय करने के लिए श्रीकृष्ण के महिला बनकर अर्जुन के किन्नर बेटे इरावन से शादी करने का भी है. हालांकि इसके बारे में महाभारत के तमिल अनुवाद में भी जिक्र है.
इरावन अर्जुन और उनकी नाग कुल की पत्नी उलूपी की संतान थे, जो जन्म के समय पुरुष ही थे, लेकिन एक श्राप के कारण बाद में किन्नर बन गए थे.
प्रचलित मान्यताओं के मुताबिक, महाभारत के युद्ध से पहले पांडवों ने श्रीकृष्ण के कहने पर मां काली की पूजा कराई थी, जिसमें नरबलि देनी थी.
मां काली की पूजा पूरी होने के बाद स्वेच्छा से बलिदान देने कोई आगे नहीं आया. इससे पूजा का असर उल्टा होने की आशंका बन गई थी. तब इरावन ने मां काली के सामने अपनी बलि देने की सहमति जाहिर की.
इरावन ने मां काली के सामने अपनी बलि देने के लिए एक शर्त रखी कि प्राण त्यागने से पहले उनकी शादी की जाए. मरने जा रहे व्यक्ति से कोई भी अपनी बेटी ब्याहने के लिए तैयार नहीं हुआ.
कहा जाता है कि इसके बाद श्रीकृष्ण ने फिर से वही मोहिनी रूप धारण किया, जिसे धरकर भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन के समय राक्षसों से अमृत लेकर दानवों को दिया था.
श्रीकृष्ण ने मोहिनी रूप धारण कर इरावन से शादी की और उसके बलि देने के बाद विधवा स्त्री की तरह विलाप भी किया. मां काली भी इरावन के बलिदान से प्रसन्न हुईं और उन्हें किन्नरों का देवता घोषित कर दिया.
मान्यता है कि इसके बाद ही किन्नर समुदाय में एक रात की शादी की परंपरा शुरू हुई थी, जिसमें किन्नर किसी और से नहीं बल्कि अपने देवता इरावन से ही एक रात के लिए शादी करते हैं.