Feb 28, 2024, 07:25 PM IST
शिवजी के वरदान से श्रीराम बने थे अजेय योद्धा
Smita Mugdha
प्रभु श्रीराम ने शिवजी का धनुष तोड़ा था जिसके बाद माता सीता से उनका विवाह हुआ था.
यह बात तो हम सब जानते हैं कि श्रीराम और माता सीता आराध्य के तौर पर शिवजी और पार्वती जी की पूजा करते थे.
लंका जाने से पहले भगवान शिव ने अपने इष्ट देव के तौर पर शिवजी की पूजा की थी. दशमी के दिन भी उन्होंने आराध्य शिव का स्मरण किया था.
मान्यता है कि राम के सद्गुणों से खुश होकर ही शिवजी ने उन्हें हमेशा अजेय रहने का वरदान दिया था.
प्रभु राम ने रामेश्वरम में बालू के शिवलिंग का निर्माण भी किया था और इसे हिंदू धर्म के चार तीर्थों में से एक माना जाता है.
प्रभु श्रीराम ने माता सीता और लक्ष्मण के साथ वार्तालाप में यह कहा था कि वह शिवजी को अपना आराध्य मानते हैं.
वनवास में भी शिवजी और पार्वती जी के आशीर्वाद की वजह से माता सीता और श्रीराम की मुश्किलें कम हो जाती थीं.
जैसे पार्वती जी ने शिवजी को पाने के लिए तप किया था वैसे ही प्रभु श्रीराम को पति के तौर पर पाने के लिए माता सीता ने गौरी मां की पूजा की थी.
श्रीराम शिवजी को अपना इष्ट मानते थे और शिवजी ने पार्वती जी से संवाद में बताया था कि वह राम को अपना आराध्य मानते हैं.
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