ब्राह्मण पुत्र होने के बावजूद रावण में कैसे आए राक्षसत्व वाले गुण
Rahish Khan
रामायण का जब भी जिक्र होता है तो उसमें भगवान के अलावा सबसे ज्यादा याद रावण को किया जाता है.
रावण लंका का राजा था, जिनका भगवान राम ने युद्ध में वध किया था.
रावण महाज्ञानी व्यक्ति था. वह सत्व, रज और तम तीनों ही गुणों के विद्मान थे.
लंकापति रावण के अंदर तमोगुण सबसे अधिक और सत्व गुण सबसे कम था. तमोगुण का मतलब उन्हें सत्य-असत्य का कुछ पता नहीं था यानि वो अज्ञान के अंधकार रहता था.
रावण पुलत्स्य मुनि के पुत्र महर्षि विश्रवा और राक्षसी कैकसी का पुत्र था. ऐसा माना जाता है कि रावण का जन्म 3 श्राप के कारण हुआ था.
इन सब के बीच सबसे बड़ी बात ये कि एक ब्राह्मण पुत्र होने बावजूद रावण में राक्षसत्व वाले गुण कैसे आए?
ऐसे माना जाता है कि तीन श्राप रावण जन्म के कारण बने. इनमें पहला सनकादिक बाल ब्राह्मणों द्वारा दिया गया श्राप था.
रावण और उसका भाई कंभकर्ण पूर्व जन्म में भगवान विष्णु के द्वारपाल जय-विजय थे. बाल ब्राह्मण वैकुंठ जाने के लिए जब प्रवेश द्वार पहुंचे तो जय-विजय ने उन्हें रोक दिया था. इससे नाराज होकर बाल ब्राह्मणों ने दोनों को मृत्युलोक में जन्म लेने का श्राप दिया था.
नारद के श्राप के कारण भी राम और रावण का जन्म होना तय हो गया था.
भोजन में मांस होने की खबर के मिलने के बाद प्रतापभानु से नाराज ब्राह्मणों ने उसे, कुटुंब समेत राक्षस हो जाने का श्राप दिया था. यही प्रतापभानु रावण बना.
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. DNA Hindi इसकी पुष्टि नहीं करता है.