Feb 15, 2024, 02:15 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड (Electoral Bonds) को अवैध करार देते हुए इस पर रोक लगा दी है.
कोर्ट ने गुमनाम चुनावी बॉन्ड सूचना के अधिकार और अनुच्चेद 19(1)(ए) उल्लंघन माना है.
इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों को भारी भरकम पैसा मिल रहा था.
मोदी सरकार 2018 को इलेक्टोरल बॉन्ड को राजनीतिक दलों को मिलने वाले नकद चंदे से बचने के लेकर आई थी.
इसे लागू करने की पीछे राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता लाना था. इससे साफ-सुथरा धन राजनीतिक पार्टियों के खाते में पहुंच रहा था.
सरकार ने SBI की 29 शाखाएं इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने और उसे भुनाने के लिए अधिकृत की गई थीं.
इलेक्टोरल बॉन्ड से उसी पार्टी को चंदा मिल सकता है, जो जनप्रतिनिधित्व कानून-1951 की धारा 29A के तहत रजिस्टर्ड है.
इसके अलावा इसे लोकसभा या विधानसभा चुनाव में कम से कम 1 प्रतिश वोट मिला हो.
चुनावी बॉन्ड 10, 1000, 10,000 और 1 करोड़ रुपये के गुणकों में जारी किए जाते थे.
बॉन्ड खरीदने की तिथि से 15 दिन के अंदर इसे जिस पार्टी को देना हैं उसे जमा करना होता था.