Nov 2, 2024, 07:03 PM IST

इस तवायफ के लिए मुगल और अंग्रेजों में हुआ था खूनी संघर्ष

Rahish Khan

बेगम समरू यानी चांदनी चौक की तवायफ पर मुगल से लेकर अंग्रेज तक फिदा थे.

वह उस जमाने की सबसे ताकवर महिला थी. बेगम समरू ने 48 साल तक हुकूमत चलाई.

ऐसा भी दौर आया जब समरू ने अपनी सेना भेजकर मुगलों की जान बचाई थी.

बेगम समरू का असली नाम फरजाना था. 1767 में फरजाना चांदनी चौक के रेडलाइट एरिया में बने कोठे में नाचती थी.

उस दौरान मुगल साम्राज्य अपने पतन की ओर था. छोटे-छोटे जागीरदार, अंग्रेज मुगलों के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद कर रहे थे.

बगावत करने वालों को जवाब देने के लिए मुगल शासकों ने भाड़े पर ऑस्ट्रिया से अंग्रेज वाल्टर रेनहार्ट को बुलाया, जो एक खूनी दरिंदा था.

रेनहार्ट को कोठे पर जाने का शौकीन था. एक दिन वह चांदनी चौक के उस कोठे पर पहुंच गया जहां फरजाना नाचती थी. 

45 साल के रेनहार्ट ने 14 साल के फरजाना को देखकर दिल हार बैठा और उसे अपने साथ आया. तवायफों के बीच बचपन गुजारने वाली फरजाना ने हथियार चलाना सीखा.

करीब 10 साल में फरजाना रेनहार्ट से वो सब सीख लिया जो एक योद्धा महिला को सीखना चाहिए था. रेनहार्ट शादीशुदा था इसलिए उसने तख्तापलट के डर से फरजाना से शादी नहीं की.

रेनहार्ट ने फरजाना को नया उपनाम दिया समरू. फिर मुंगलों ने उसे 'बेगम' का खिताब से नवाजा.

बेगम ने चांदनी चौक और अपने क्षेत्र में कई हवेलियों का निर्माण कराया. उस दौरान उनकी गिनती देश की सबसे अमीर और शक्तिशाली महिलाओं में की जाती थी.

बेगम समरू की खूबसूरती पर मुगल बादशाह भी फिदा थे. जिंदगी के अंतिम दौर में समरू ने ईसाई धर्म कुबूल कर लिया और नाम पड़ा जोहना नोबिलिस सोम्ब्रे.