Feb 21, 2024, 05:55 PM IST
निराला की यह कविता स्कूलों में प्रार्थना गीत के तौर पर भी इस्तेमाल की जाती है. शायद बचपन में आपने भी गया हो.
इसमें निराला ने अपने में मगन रहनेवालों का स्वभाव महसूसा है. इसे पढ़कर आसपास के माहौल पर ध्यान जाएगा.
यह बेहद मार्मिक कविता है, जिसे निराला ने अपने उत्तरार्द्ध जीवन में लिखी थी, जहां वे खुद को एकाकी महसूसने लगे थे.
इसे हिंदी का पहला शोकगीत माना जाता है. बेटी सरोज की मौत के बाद निराला ने उसे याद करते हुए इसकी रचना की थी.
इस कविता में निराला ने तब के प्रसंग का वर्णन किया है जब लंका जाने के लिए राम समुद्र से रास्ता देने को कह रहे थे.
'सरोज-स्मृति' की तरह ही 'कुकुरमुत्ता' भी निराला की लंबी कविता है. इस कविता की भाषा में व्यंग्य की तेज धार है.
निराला की इस कविता में दृश्यात्मकता के अद्भुत गुण हैं. भिखमंगे को लेकर लिखी गई कविताओं में यह सर्वश्रेष्ठ है.
निराला का यह गीत है तो प्रकृति परक रचना, पर इसे पढ़ते हुए खुद में उत्साह की बूंदें सहज रूप में आप महसूस करेंगे.
संग्रह 'परिमल' की इस कविता में एक-दूसरे की पूरक चीजों के कई उदाहरण ले निराला ने 'तुम' और 'मैं' को बताया है.
जीने की इच्छा से भरी इस कविता में लिखा है 'अभी न होगा मेरा अंत, अभी-अभी ही तो आया है, मेरे वन में मृदुल वसंत'