May 4, 2024, 12:14 PM IST

इस खूबसूरत तवायफ को मंदिर के पुजारी से हो गया था इश्क

Kavita Mishra

देश में कई ऐसी तवायफ हुईं, जिनका नाम इतिहास के पन्ने में दर्ज हो गया. तवायफों की महफ़िल में बड़े-बड़े रसूकदार से लेकर अधिकारी जाते थे.

तवायफों की सुंदरता और मोहकता देखकर कई लोग प्रेम के जाल में फंस गए. इतिहास में कई रसूकदारों और तवायफों के प्रेम के किस्से को बहुत खूबसूरती के कागज के पन्नों में उतारा गया है. 

ऐसे में हम आपको एक ऐसी ही तवायफ का किस्सा बताएंगे, जिसे एक पुजारी से इश्क हो गया था. प्यार ऐसा की पुजारी के निधन के बाद वह अपने पेशे से दूर चल गईं.

ये कहानी है पटना शहर में मुजरे की रानी के नाम से मशहूर तवायफ़ तन्नो बाई की, जिन्हें वैष्णव संप्रदाय के छोटे मंदिर के पुजारी धरीछन तिवारी से प्रेम हो गया था. 

1920 के आसपास पटना शहर में धरीक्षण तिवारी दीवान मोहल्ले में एक रईस की शादी में शामिल हुए. शादी के बाद जब मुजरा हुआ तो उन्होंने तन्नो बाई का जादू चलते देखा. 

तन्नो बाई का मुजरा देखने के बाद वह उन पर मोहित हो गए लेकिन कुछ कहा नहीं. वहीं, तन्नो बाई की नजर भी धरीक्षण तिवारी पड़ी और वह भी दिल हार गईं. 

इतिहासकार बताते हैं कि इसके बाद तो ऐसा सिलसिला शुरू हुआ कि शहर के जिस मुजरे में तन्नो जातीं, धरीछन तिवारी को ख़बर मिलती तो वह वहां पहुंच जाते. वह गाने के बीच में रुकती थीं तो तिवारी जी इसकी तारीफ में अपना सिर हिलाने से खुद को नहीं रोक पाते थे.

एक बार कचौड़ी गली के एक अमीर जमींदार ने तन्नो को पांच दिवसीय जलसे के लिए आमंत्रित किया. एक हजार चांदी के सिक्कों की अग्रिम राशि दी गई. 

जब तन्नो पहुंची तो धरीक्षण तिवारी नहीं दिखे. इस बीच उन्हें बताया गया कि पिछली पूर्णिमा की रात तिवारी जी का इंतकाल हो गया. यह सुनते ही तन्नो बाई चांदी के सिक्कों की थैली वापस कर लौट आईं. 

तन्नो बाई कई दिनों तक सदमे में रहीं और तन्नो ने महफिलों में जाना छोड़ दिया.  कुछ समय के बाद तन्नो अपना सारा समय पूजा करने में बिताने लगीं.  50 की उम्र के आसपास उनका निधन हो गया.