May 13, 2024, 10:21 PM IST
संजय लीला भंसाली की वेब सीरीज हीरामंडी के बाद लोग तवायफों की जिंदगी बारे में जानना चाहते हैं.
उस दौर में तवायफ बनना भी इतना आसान नहीं था, जो लड़की तवायफ बनने के लिए लाई जाती थी उसे कुछ रस्मों से गुजरना पड़ता था.
इनमें अंगिया, मिस्सी और नथ उतरवाई जैसी रस्में होती थीं. ये कैसे निभानी पड़ती थी आइये जानते हैं.
जब लड़की अपने बचपन से निकलकर किशोरावस्था में कदम रखती थी तो अंगिया रस्म निभाई जाती थी.
इस रस्म के तहत तवायफें इकट्ठा होकर उस लड़की को ब्रा पहनाती थीं. यह उस लड़की का तवायफ बनने का पहला कदम माना जाता था.
इस रस्म में तवायफ बनने वाली लड़की के दांतों को काला किया जाता था. उस जमाने में काले दांत और कत्थे से लाल होठ काफी सुंदर माने जाते थे.
लड़की के दांत काले करने के लिए खास तरह का पाउडर इस्तेमाल किया जाता था. इस रस्म में सिर्फ कोठे की महिलाएं शामिल होती थीं.
मिस्सी रस्म के तहत कोठे पर खास कार्यक्रम किया जाता था. जिसमें नाच गाना और खाना-पीना होता था.
तवायफ बनने के लिए नथ उतराई सबसे अहम और आखिरी रस्म होती थी. इसमें लड़की किसी मर्द के साथ पहली रात गुजारती थी.
दरअसल, कोठे पर कुंवारी लड़की की सबसे ज्यादा बोली लगती थी. जो सबसे ज्यादा बोली लगाता लड़की पहली रात उसके साथ ही गुजारती थी.
ऐसे में वर्जिन लड़की के नाक में नथ पहनाई जाती थी. उस रात के बाद तवायफ लड़की फिर कभी नथ नहीं पहनती थी.