आज पीएम नरेंद्र मोदी ने असम के जोरघाट में ‘अहोम सेनापति’ लचित बोरफुकन की 125 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया.
लचित बोरफुकन का नाम उन महान योद्धाओं में शुमार है, जिन्होंने मुगल सेना की नाक में दम कर रखा था.
लचित बोरफुकन का जन्म 24 नवंबर 1622 को असम के प्रागज्योतिशपुर में हुआ था.
उन्हें चक्रव्यूह रचना, कूटनीति और युद्धनीति का संपूर्ण ज्ञान था जिसे देखकर अहोम राजा चक्रध्वज सिंघा ने उन्हें अहोम सेना का कमांडर बनाया.
कमांडर बनते ही उन्होंने पूरी अहोम सेना का कायाकल्प ही कर दिया था.
मुगल बादशाह औरंगजेब ने अपनी सेना समेत 21 राजपूतों राजाओं की फौज को अहोम साम्राज्य पर आक्रमण करने का आदेश दिया.
लचित जानते थे कि मुगल सेना को खुले मे हराना नामुमकिन है इसलिए उन्होंने गुरिल्ला युद्ध का सहारा लिया और हमले की रणनीति बनाई.
वह जानते थे कि मुगल सेना पानी के युद्ध में उतनी कुशल नहीं है इसलिए उन्होंने मुगल सेना को नदी के रास्ते आने पर मजबूर किया.
नदी के सहारे मुगल सेना के अहोम साम्राज्य में आते ही अहोम सेना ने उन्हें चारों तरफ से घेरकर हमला कर दिया और मुगल सेना को वापस भागने के लिए मजबूर कर दिया.